नौकरी के लिए बने आदिवासी, पढ़ाई के लिए OBC: MP में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र पर 25 अधिकारी-कर्मचारी चिह्नित
ग्वालियर। मध्य प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल करने वाले विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों ने एक बड़ा घोटाला किया है। ये लोग वास्तव में ओबीसी वर्ग से आते हैं लेकिन इन्होंने दोहरा लाभ लेने के लिए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया। पड़ताल में सामने आया है कि जब ये छात्र थे तब इन्होंने ओबीसी वर्ग को मिलने वाली छात्रवृत्ति हासिल की और जब नौकरी की बारी आई तो आदिवासीअनुसूचित जनजाति बनकर उनके हक पर डाका डाल दिया।
आदिवासियों के हक पर डाका
दोहरा फ़ायदा: जांच में पता चला कि इन लोगों ने पढ़ाई के समय खुद को ओबीसी बताकर छात्रवृत्ति ली थी जिसका प्रमाण उनके पुराने जाति प्रमाण-पत्रों में दर्ज है। रडार पर सहायक: 25 लोगों के अलावा आठ ऐसे लोग भी एसटीएफ के रडार पर हैं जिन्होंने इन फर्जी प्रमाण-पत्रों के सत्यापन में इन अधिकारियों और कर्मचारियों का साथ दिया। अब इनके नाम भी एफआईआर में शामिल किए जाएंगे।
फर्जीवाड़ा करने वाले अधिकारी और उनके विभाग
एसटीएफ ने जिन अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है वे मध्य प्रदेश के विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों में सालों से कार्यरत थे ।
अधिकारी कर्मचारी का नाम पद और विभाग
डॉ. दिनेश माझी जीआरएमसी ग्वालियर ,डॉ. सीमा बाथम जीआरएमसी ग्वालियर ,डॉ. रजनीश माझी जीआरएमसी ग्वालियर, डॉ. विनोद बाथम जीआरएमसी ग्वालियर, डॉ. रेखा बाथम आयुर्वेदिक कॉलेज आम खो , डॉ. महेंद्र बाथम फार्मासिस्ट जिला शिवपुरी ,जवाहर सिंह केवट शिक्षक ,सीताराम केवट शिक्षक,सरला माझी कुसुम मांझी राजेश केवट शिक्षक,बाबूलाल रावत सुनीता रावत शिक्षक ,हेमंत बाथम आरक्षक साइबर सेल ग्वालियर गीतिका बाथम एसआइ पुलिस मुख्यालय भोपाल,।
कार्रवाई में ढिलाई
यह बात भी सामने आई है कि इन लोगों के खिलाफ एसटीएफ द्वारा एफआईआर दर्ज होने के बावजूद संबंधित विभागों द्वारा अब तक इन पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पूरे घोटाले में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र बनवाने से लेकर सत्यापन कराने तक का एक बड़ा नेटवर्क शामिल है जिसकी गहन जांच आवश्यक है।
