Nepal: SC ने 11 देशों के राजदूतों को वापस बुलाने के सरकार के फैसले पर लगाई रोक

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काठमांडु। नेपाल (Nepal) के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने रविवार को सरकार के उस विवादास्पद फैसले (Controversial decisions) पर अस्थायी रोक लगा दी, जिसमें चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और जापान समेत 11 देशों में तैनात राजदूतों को वापस बुलाने का निर्णय (Decision Recall Ambassadors) लिया गया था। नेपाल सरकार की कैबिनेट ने 6 अक्टूबर को यह फैसला सुनाया था कि 6 नवंबर तक इन राजदूतों को स्वदेश लौटना होगा। न्यायमूर्ति सारंगा सुबेदी और न्यायमूर्ति श्रीकांत पौडेल की संयुक्त खंडपीठ ने रविवार को यह अंतरिम आदेश जारी किया। अदालत ने चेतावनी दी कि इस कदम से मेजबान देशों के साथ नेपाल के द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

अंतरिम आदेश में उल्लेख किया गया है कि इन राजदूतों का कार्यकाल अभी समाप्त नहीं हुआ था, कैबिनेट के फैसले में इन्हें वापस बुलाने के कोई स्पष्ट कारण नहीं बताए गए, और रिक्त पदों पर नए राजदूतों की नियुक्ति की कोई योजना भी नहीं बनाई गई। अदालत ने वर्तमान सरकार के सीमित और उद्देश्यपूर्ण कार्यकाल का भी जिक्र किया। इसके अलावा राष्ट्रपति कार्यालय के 11 सितंबर 2025 (2082.05.27) के बयान से पता चलता है कि यह अंतरिम सरकार नेपाल के संविधान के प्रावधानों के तहत राष्ट्रपति द्वारा गठित की गई थी, ताकि छह महीने के अंदर प्रतिनिधि सभा के लिए नए चुनाव कराए जा सकें।

आदेश में कहा गया कि प्रधानमंत्री की सिफारिश पर 12 सितंबर 2025 (2082.05.27) को प्रतिनिधि सभा भंग करने और संविधान के अनुच्छेद 292 को ध्यान में रखते हुए, राजदूत पदों को तुरंत भरना संभव नहीं प्रतीत होता। इस अंतरिम आदेश के बाद सरकार को राजदूतों को तत्काल वापस बुलाने का अधिकार नहीं रहेगा। पिछले महीने कैबिनेट के फैसले में राजनयिक मिशनों को खाली कर स्वदेश लौटने की समय सीमा 6 नवंबर निर्धारित की गई थी।

इस फैसले को चुनौती देने वाली रिट याचिका अधिवक्ता प्रतिभा उप्रेती और अनंतराज लुइंटेल ने दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया कि यह निर्णय रद्द किया जाए, क्योंकि कार्यवाहक सरकार के पास लंबे समय तक प्रभाव डालने वाले कूटनीतिक फैसलों का लेने का कोई संवैधानिक या राजनीतिक अधिकार नहीं है। दरअसल, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 12 सितंबर को सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री बनाने के साथ ही 5 मार्च 2026 तक संसदीय चुनाव कराने का निर्देश दिया था।

बता दें कि सुशीला कार्की के नेतृत्व वाली सरकार ने 16 सितंबर को कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया था, जिसमें अधिकांश राजदूत पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार द्वारा नियुक्त किए गए थे। बैठक में चीन, जर्मनी, इजरायल, कतर, रूस, सऊदी अरब, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान में तैनात नेपाल के राजदूतों को वापस बुलाने का ऐलान किया गया था।