आतंकियों को पालने-पोषने के पर्याप्त सबूत… फिर भी PAK के लिए IMF ने खोला खजाना

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इस्लामाबाद।
पाकिस्तान (Pakistan) में किस तरह से आतंकी अड्डे चल रहे हैं, ये पूरी दुनिया जानती है. हाल ही में इजरायल (Israel) ने लश्कर ए तैयबा (Lashkar-e-Taiba) को लेकर भारत के हाथ मिलाने का भी ऑफर दिया है, उधर भारत (India) यूनाइटेड नेशंस में पर्याप्त सबूत दे चुका है कि पाकिस्तान का पैसा कहां जा रहा है. बावजूद इसके अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund.- IMF) ने एक बार फिर पाकिस्तान के लिए अपना खजाना खोल दिया है. राहत के नाम पर उसने पाकिस्तान के लिए 1.2 अरब डॉलर के लोन की किस्त को मंजूरी दी है।

इस फैसले के साथ पाकिस्तान का IMF कार्यक्रम फिलहाल ट्रैक पर बना रहेगा और उसे अपने विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने में मदद मिलेगी. IMF बोर्ड की मंजूरी के बाद यह फंड अगले कुछ दिनों में पाकिस्तान को जारी किया जाएगा. इस लोन से पाकिस्तान खस्ताहाल आर्थिक हालात को थोड़ी राहत मिलेगी. पाकिस्तान के लिए यह राशि बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि सब जानते हैं कि उसका ध्यान हालात सुधारने पर कम और हथियारों का जखीरा बढ़ाने पर ज्यादा है।

IMF ने क्या रखी हैं शर्तें?

IMF ने साफ किया है कि पाकिस्तान को आगे भी राजस्व बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे. इसके लिए सरकार को टैक्स वसूली में सुधार, घाटा कम करने और आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ाने पर जोर देना होगा. इसके साथ ही IMF ने पाकिस्तान को सरकारी कंपनियों के निजीकरण को तेज करने की भी सलाह दी है. संस्था का कहना है कि घाटे में चल रही सरकारी इकाइयां पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता में बड़ा रोड़ा बनी हुई हैं. हालांकि पाकिस्तान को इससे वाकई राहत तभी मिलेगी, जब वो देश में संरचनात्मक सुधारों को गंभीरता से लागू करे न कि इस पैसे को आतंकवाद को स्पॉन्सर करने और हथियारों का भंडार भरने में लगाए।

आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 2024 में IMF ने पाकिस्तान के लिए एक नया 37 महीने का एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी प्रोग्राम मंजूर किया था, जिसकी कुल राशि करीब US$ 7 बिलियन थी. इसमें से करीब 3 बिलियन की रकम पाकिस्तान को दी जा चुकी है लेकिन आज भी पाकिस्तान में जनता को मूलभूत चीजों के लिए सोचना पड़ता है. खाने-पीने की चीजों के दाम इतने हैं कि आम लोगों की थाली से पोषण गायब होता जा रहा है. बावजूद इसके पाकिस्तान के हथियारों के भंडार भर रहे हैं, ऐसे में साफ समझ में आता है कि पाकिस्तान के इन राहत पैकेजों की प्राथमिकता में सिर्फ और सिर्फ लड़ाई की तैयारी है।