सुप्रीम कोर्ट जज की तल्ख टिप्पणी, राज्यपालों को जो नहीं करना, वह करते हैं और जो करना चाहिए उसे नहीं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कॉन्फ्रेंस में कई राज्यों में सरकारों और राज्यपालों के बीच छिड़े विवाद को लेकर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में गवर्नर वह काम नहीं करते, जो उन्हें करने चाहिए। लेकिन उन कामों में आगे रहते हैं, जो उन्हें नहीं करने चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यपालों को तटस्थ रहना चाहिए। दुर्गाबाई देशमुख का जिक्र करते हुए जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि वह कहती थीं कि गवर्नरों का रोल सद्भाव बढ़ाने वाला होना चाहिए और उन्हें राजनीति से परे होना चाहिए। दुर्गाबाई देशमुख संविधान सभा की सदस्य थीं और चिंतामणराव देशमुख की पत्नी थीं, जो आजाद भारत के पहले वित्त मंत्री थे।
सुप्रीम कोर्ट की जज ने कहा कि गवर्नरों से कुछ कर्तव्यों की अपेक्षा की जा सकती है। हम संविधान में राज्यपालों का वर्णन इसीलिए करना चाहते थे कि उनका काम सद्भाव बढ़ाने वाला हो। उनका काम ऐसा होना चाहिए कि दो विपरीत ध्रुवों के बीच भी कुछ तालमेल बनाया जा सके। यह जरूरी है कि गवर्नर को राजनीति से ऊपर रखा जा सके। उन्हें राजनीतिक मामलों से परे रहना चाहिए ताकि किसी तरह का विवाद न होने पाए। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि आज के भारत में गवर्नर वे काम कर रहे हैं, जो उन्हें नहीं करने चाहिए। लेकिन उन चीजों में निष्क्रिय दिखते हैं, जिसकी उनसे अपेक्षा की जाती है।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हमें संघीय ढांचे का ख्याल रखना चाहिए। इसके अलावा मूल अधिकारों और सिद्धांतों पर भी बात होनी चाहिए। उनका कहना था कि अहम बात यह है कि राज्य और केंद्र दोनों समझें कि उनके पास राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अपेक्षाओं को पूरा करने का जनादेश है। जज ने इस बात पर जोर दिया कि राज्यों की बातों को महत्व मिलना चाहिए, उनके अधिकारों को कमजोर नहीं करना चाहिए। उनका कहना था कि सभी बातों के बीच एक अहम चीज संविधान है। वह हमें प्रेरित करता है और हर स्थिति पर एक समाधान प्रस्तुत करता है। वह हमें लगातार लोकतांत्रिक मूल्यों का ध्यान दिलाता रहता है।