वक्फ बिल के समर्थन में नीतीश कुमार की जेडीयू, ललन सिंह का विपक्ष पर जोरदार वार

 

नई दिल्‍ली। वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का जेडीयू ने खुलकर समर्थन किया है। जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि यहां गलत तर्क दिए जा रहे हैं। यहां मंदिर, गुरुद्वारे का उदाहरण दिया जा रहा है। आप समझ नहीं रहे हैं। मंदिर और गुरुद्वारे धार्मिक स्थल हैं। लेकिन वक्फ बोर्ड एक संस्था है। ये धार्मिक स्थल नहीं है। भले ही सरकार धर्म में दखल न दे, लेकिन किसी संस्थान में करप्शन हो तो फिर सरकार दखल क्यों नहीं दे सकती। आप अल्पसंख्यकों की बात करते हैं तो फिर सिखों की हत्याएं किसके दौर में हुई थीं। आखिर किस सिख टैक्सी ड्राइवर ने इंदिरा गांधी की हत्या की थी। लेकिन आप के दौर में खोज-खोजकर सिखों को मारा गया। हजारों लोगों को मार डाला गया। हम लोग इसके गवाह हैं।

ललन सिंह के भाषण के दौरान सदन में जोरदार हंगामा भी देखने को मिला। इस विधेयक पर भाजपा को टीडीपी, जेडीयू जैसे सहयोगी दलों से समर्थन का भरोसा मिला है। इस बिल का एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने भी समर्थन किया। विधेयक का समर्थन करते हुए श्रीकांत शिंदे ने कहा कि जो लोग इसमें राजनीतिकरण कर रहे हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि इस देश में एक ही कानून चलेगा। कुछ लोगों को अलग कानून क्यों चाहिए। इस बिल का एक ही मकसद है- पारदर्शिता और जवाबदेही। उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग यहां भ्रम फैला रहे हैं।

शिंदे ने कहा कि इन लोगों की जब सरकार थी तो इन लोगों ने महाराष्ट्र के मंदिरों में प्रशासक बैठाया था। तब इन लोगों को सेकुलरिज्म ध्यान नहीं आया। अब जब देश में एक कानून चलाने की बात हो रही है तो फिर दिक्कत क्या है। इस बिल में मुस्लिम महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व देने की बात सरकार ने कही है। इसी तरह जब शाहबानो को 1986 में अदालत से न्याय मिला था तो इन लोगों ने उसे छीन लिया था। एकनाथ शिंदे ने कहा कि वक्फ संपत्तियों पर 85 हजार से ज्यादा मुकदमे चल रहे हैं। यह देश में सबसे ज्यादा जमीन रखने वाली संस्थाओं के मामले में तीसरे नंबर पर हैं। हम चाहते हैं कि इन जमीनों पर अच्छे स्कूल, कॉलेज और अस्पताल आदि बनें।

हालांकि कई मामलों में सरकार का समर्थन कर चुकी वाईएसआर कांग्रेस ने इसका विधेयक का विरोध किया है। पार्टी सांसद ने कहा कि इस मामले में जताई जा रही चिंताओं से हम सहमत हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने जो बातें कही हैं, हम भी उससे सहमति जताते हैं। अब तक बीजेडी का रुख सामने नहीं आया है कि वह इस विधेयक का समर्थन करेगी या विरोध में रहेगी।