आईईसीसी रिपोर्ट: देश में 6.5 फीसदी बढ़ी मांग, तीन साल बाद हो सकती है बिजली की भारी कटौती

नई दिल्ली। भारत में आने वाले वर्षों में भारी बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है। क्‍योंकि तेजी से बिजली की मांग बढ़ रही है उसके कारण लोगों को इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर (आईईसीसी) ने अपनी नई टेक्निकल रिपोर्ट में खुलासा किया है कि 2027 तक भारत को खासतौर पर शाम के समय 20 से 40 गीगावाट तक बिजली की कमी का सामना करना पड़ सकता है। यह स्थिति तब भी उत्पन्न होगी जब वर्तमान में निर्माणाधीन सभी थर्मल और पनबिजली परियोजनाएं योजना के अनुसार समय पर पूरी हो जाएंगी।

भारत की योजना 2027 तक अक्षय ऊर्जा में 100 गीगावाट और पावर क्षमता में 28 गीगावाट तक इजाफा करने की है। मौजूदा समय में देश की कुल ऊर्जा उत्पादन क्षमता 446.2 गीगावाट है। इसमें से 48.8 फीसदी ऊर्जा, कोयला आधारित है। इसके अलावा 19.2 फीसदी सौर, 10.5 फीसदी पवन ऊर्जा और 10.5 फीसदी पनबिजली पर निर्भर है। शेष अन्य स्रोतों जैसे न्यूक्लियर, तेल एवं गैस और बायोपावर से प्राप्त हो रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, बिजली की बढ़ती मांग में 2023 के दौरान 6.5 की वृद्धि दर्ज की गई थी। यह वृद्धि वैश्विक रूप से बढ़ रही बिजली की मांग से ज्यादा है। उल्लेखनीय है कि इस दौरान वैश्विक स्तर पर बिजली की मांग में 2.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। देश में 2019 से 2024 के बीच पीक समय में बिजली की मांग में सालाना साढ़े छह फीसदी की वृद्धि हुई है। मई 2019 में पीक समय में बिजली की मांग 182 गीगावाट थी जो मई 2024 में 68 गीगावाट के इजाफे के साथ बढ़कर 250 गीगावाट तक पहुंच गई। यदि यह प्रवत्ति जारी रहती है तो पीक समय में बिजली की मांग 2027 तक 50 से 80 गीगावाट तक बढ़ सकती है।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि बिजली की इस कमी को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा के साथ भंडारण क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान देना सबसे अच्छा विकल्प है। सौर ऊर्जा संयंत्रों को नए थर्मल और हाइड्रो प्लांट्स की तुलना में अधिक तेजी से स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा 2027 तक 100 से 120 गीगावाट नई सौर ऊर्जा जोड़ने से जिसमें 50 से 100 गीगावाट की भंडारण क्षमता चार से छह घंटे होगी, बिजली की कमी से निपटने में मदद मिल सकती है। अनुमान के अनुसार देश में बिजली की मांग 2047 तक चार गुना बढ़ सकती है।

17 से 31 मई 2024 के बीच भीषण गर्मी के दौरान देश की बिजली व्यवस्था गहरे दबाव में थी। हालांकि, इस दौरान पन बिजली को छोड़कर 140 गीगावाट से अधिक अक्षय ऊर्जा क्षमता मौजूद थी, लेकिन मई 2024 की शुरुआत में शाम के पीक समय के दौरान केवल आठ से दस गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन ही उपलब्ध था। बिजली की मांग में हो रही यह वृद्धि 2025 में भी जारी रह सकती है। हालात को देखते हुए आईईसीसी का कहना है कि यदि सालाना मांग छह फीसदी से अधिक की दर से बढ़ती है तो देश को आने वाले वर्षों में बिजली की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।

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