कर्नाटक सरकार ने एसबीआई और पीएनबी से किया किनारा, 25 करोड़ की एफडी के मिले 13 करोड़

बेंगलुरु. हाल में कर्नाटक में राज्य सरकार ने बड़ा आदेश जारी किया, वह और उसके अलग-अलग विभाग दो बैंकों में अपने सभी खाते, लेनदेन तत्काल प्रभाव से बंद कर दें. अगर कोई जमा इन खातों में बाकी हैं, तो उन्हें भी रिकवर कर लें. इस फैसले के बाद से ही इसकी वजह को लेकर उथल पुथल मची है. दरअसल भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) देश का सबसे बड़ा बैंक है तो पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक है. केंद्र सरकार से लेकर अधिकतर राज्य सरकारें अपने विभागों के पैसे संभालने से लेकर कर्मचारियों को सैलरी देने तक के लिए इन बैंकों पर निर्भर रहती हैं. पर किसी बैंक में 25 करोड़ रुपए की एफडी कराएं, उस पर ब्याज मिलने के बजाय उल्टा मूलधन ही 13 करोड़ रुपए मिले तो उथल पुथल मचना लाजिमी है. ऐसा ही कुछ कर्नाटक सरकार का भी कहना है. कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार का कहना है कि एसबीआई और पीएनबी ने सरकारी विभागों के पैसे को सही से नहीं संभाला और न ही उनका मैनेजमेंट किया. इससे सरकार को नुकसान भी हुआ है.

कर्नाटक सरकार के इस फैसले की वजह उसके कुछ दावों में झलकती है. एक खबर के मुताबिक राज्य सरकार का दावा है कि कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2013 में 10 करोड़ रुपए की एफडी एसबीआई में करवाई थी. इस रकम का इस्तेमाल फर्जी दस्तावेज के आधार पर एक प्राइवेट कंपनी का लोन सेटल करने में किया गया. इसी तरह कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड ने पीएनबी में 2011 में 25 करोड़ रुपए की एफडी करवाई थी, इसमें से सिर्फ 13 करोड़ रुपए ही वापस आए. बाकी पैसे का कोई हिसाब-किताब नहीं है.

कर्नाटक सरकार का कहना है कि ऐसे कई करोड़ रुपए के मामले कोर्ट में अटके हुए हैं. बैंकों ने कोई पैसा रिटर्न नहीं दिया है. इसलिए सरकार के वित्त विभाग ने सभी मंत्रालय, डिपार्टमेंट, पीएसयू, यूनिवर्सिटी, बोर्ड और आयोग इत्यादि को 20 सितंबर तक इन दोनों बैंक के साथ अपने लेनदेन हर तरह से बंद करने के निर्देश दिए हैं. इस बारे में बैंकों के साथ हुई बातचीत बेनतीजा रही है. इस मुद्दे पर भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक दोनों ने कहा कि वह सरकार के साथ बातचीत करके इसका समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि इससे जुड़े कई अन्य मामले अभी कोर्ट में विचाराधीन हैं.