लगातार चार झटके! चिराग के बदले रुख से एनडीए में खलबली, क्यों बढ़ा रहे बीजेपी की मुश्किलें?
नई दिल्ली । केंद्र में एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल को अभी ढाई महीने ही हुए हैं। मगर खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताने वाले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान सरकार को झटके पर झटके देते जा रहे हैं। लोजपा रामविलास के मुखिया चिराग ने पहले एससी-एसटी आरक्षण में सब कैटगरी और क्रीमी लेयर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मुखर होकर विरोध किया। इसके बाद विपक्ष की देश भर में जातिगत गणना कराने की मांग का समर्थन कर दिया। फिर लोकसभा में लाए गए वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का विरोध किया तो उसके ठीक बाद यूपीएससी में लैटरल एंट्री के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेर दिया।
पासवान के बदले रुख से एनडीए में हलचल मची
चिराग पासवान के बदले रुख से एनडीए में हलचल मची हुई है। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है। इससे पहले चिराग बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। इसे लेकर सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं भी होने लगी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों एससी-एसटी आरक्षण पर अहम फैसला सुनाते हुए इन वर्गों में ओबीसी की तरह क्रीमी लेयर और सब कैटगरी बनाने की मंजूरी दी थी। चिराग की पार्टी लोजपा रामविलास ने उसी दिन बयान जारी कर, शीर्ष अदालत के इस फैसले का विरोध किया था।
इसके बाद पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी कहा कि दलितों को आरक्षण छुआछूत के आधार पर मिला हुआ है, ऐसे में इसमें सब कैटगरी और क्रीमी लेयर का सवाल ही नहीं उठता है। बीते 22 अगस्त को विपक्ष द्वारा इस मुद्दे पर बुलाए गए भारत बंद का भी चिराग की पार्टी ने समर्थन किया था। वहीं बीजेपी के अन्य सहयोगी दलों ने इस मामले पर चुप्पी साधे रखी।
कई वंचित जातियों के लोग अब भी बुरी अवस्था में
एससी एसटी आरक्षण में सब कोटा के मुद्दे पर चिराग पासवान की अपने कैबिनेट सहयोगी जीतनराम मांझी से भी जुबानी जंग हुई। हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के मुखिया मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का खुलकर समर्थन किया। साथ ही उन्होंने चिराग की ओर इशारा करते हुए कहा कि गिनी चुनी दलित जातियां हीं एससी आरक्षण का फायदा उठाती रही हैं, जबकि कई वंचित जातियों के लोग अब भी बुरी अवस्था में हैं। इसलिए इस वर्ग में सब कैटगरी और क्रीमी लेयर जरूरी है।
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का विरोध, लैटरल एंट्री पर भी सवाल
संसद के मॉनसून सत्र के दौरान जब मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया तो, इस पर खूब हंगामा मचा। विपक्षी दलों ने इस बिल का जमकर विरोध किया। इसी बीच चिराग पासवान ने भी इस बिल पर अपनी सहमति नहीं दी। इस कारण इस ड्राफ्ट को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजना पड़ा।
इस मुद्दे पर भी चिराग सरकार खिलाफ मुखर रहे
हाल ही में यूपीएससी द्वारा लैटरल एंट्री के जरिए मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे पदों की भर्ती निकाली गई थी। इन पदों पर बैकडोर से नियुक्ति की जानी थी। इस मुद्दे पर भी चिराग पासवान सरकार खिलाफ मुखर हो गए। उन्होंने लैटरल एंट्री को पूरी तरह गलत करार दिया और कहा कि वह सरकार से इस बारे में सरकार से बात करेंगे। इस मुद्दे पर कांग्रेस, आरजेडी समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी मोदी सरकार को जमकर घेरा। इस मामले पर भी चिराग पासवान के सुर विपक्ष के साथ ताल मिलाते हुए नजर आने लगे। विवाद होने के बाद यूपीएससी को यह नोटिफिकेशन वापस लेना पड़ा।
जातिगत जनगणना के समर्थन में चिराग पासवान
पिछले दिनों चिराग पासवान ने विपक्षी दलों की एक और मांग का भी खुलकर समर्थन किया। लोकसभा चुनाव 2024 में इंडिया गठबंधन के नेताओं ने देश भर में जातिगत जनगणना चुनावी मुद्दा बनाया था। इसके बाद तेजस्वी यादव सरीखे नेता अक्सर मोदी सरकार से जनगणना के साथ जातिगत सर्वे कराने की मांग करते रहे हैं। अब चिराग पासवान भी इसके समर्थन में आ गए। उनका कहना है कि जातियों के आंकड़े सरकार के पास होने ही चाहिए।
चाचा पशुपति पारस फिर से हुए एक्टिव
चिराग के बदले-बदले रुख से मची सियासी हलचल के बीच उनके चाचा एवं रालोजपा के मुखिया पशुपति पारस भी एक्टिव हो गए हैं। पारस की पार्टी ने पिछले दिनों बिहार उपचुनाव में चार में से एक सीट पर दावा ठोक दिया। पिछले हफ्ते बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, पारस से मिलने उनके पार्टी दफ्तर भी पहुंचे। एक दिन पहले पशुपति पारस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
बता दें कि लोजपा में टूट के बाद चाचा और भतीजा आमने-सामने हो गए थे। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चिराग के गुट वाली लोजपा को तरजीह देते हुए बिहार में पांच सीटें लड़ने के लिए दे दीं। वहीं, पशुपति पारस के गुट वाली रालोजपा को गठबंधन में साइडलाइन कर दिया गया था। अब फिर से पारस की बीजेपी नेताओं से मुलाकात से सियासी गलियारे में हलचल मची हुई है।