LN आयुर्वेद महाविद्यालय में कार्यशाला अनुशस्त्रम 2024 संपन्न
भोपाल। एल एन आयुर्वेद महाविद्यालय द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला अनुशस्त्रम 2024 का आयोजन किया गया । जिसमें संपूर्ण देश से लगभग 450 प्रतिभागियों ने भाग लिया । कार्यशाला का उद्देश्य आयुर्वेद के स्नातक व स्नातककोत्तर विद्यार्थियों को परंपरागत चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के प्रत्यक्ष कर्मभ्यासों का अभ्यास कराना था ।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध वैद्य गोपाल दास मेहता थे। अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में सत्यनारायण चौकसे व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एलएनसीटी यूनिवर्सिटी पूजाश्री चौकसे उपस्थित थी । कार्यक्रम की अध्यक्षता वाइस चांसलर एलएनसीटी यूनिवर्सिटी डॉ एन के थापक ने की । वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सपन जैन, वाइस प्रिंसिपल डा वर्षा बंजारी, डायरेक्टर डा विशाल शिवहरे, देहरादून से पधारे अतिथि वक्ता डॉ शिशिर प्रसाद, बेंगलुरु कर्नाटक से आए हुए अतिथि वक्ता डॉ विवेक जे व पुणे महाराष्ट्र से आए हुए डॉ चंद्र कुमार देशमुख थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के द्वारा भगवान धनवंतरी के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन बालरोग विभाग के प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष डॉ शैलेष जैन द्वारा किया गया तथा स्वागत भाषण के साथ महाविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों व उपलब्धियां का ब्यौरा दिया गया । तत्पश्चात उद्बोधन के क्रम में सबसे पहले वैद्य गोपाल दास मेहता ने आयुर्वेद को आज के समय की मांग बताया तथा आयुर्वेद में उपलब्ध अवसरों से विद्यार्थियों को अवगत कराया । अतिविशिष्ट अतिथि एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एलएनसीटी यूनिवर्सिटी पूजाश्री चौकसे ने समस्त आए हुए प्रतिभागियों का यूनिवर्सिटी की ओर से स्वागत किया साथ ही उन्होंने सभी विद्यार्थियों से ऐसे आयोजनों का अधिक से अधिक लाभ लेने की अपील की ।
उद्घाटन सत्र के पश्चात सबसे पहले उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी देहरादून से पधारे हुए डॉ शिशिर कुमार ने मर्म चिकित्सा पर अपना व्याख्यान दिया । आयुर्वेद की बड़ी ही सटीक चिकित्सा है मर्म चिकित्सा जिसमें कुछ ऐसे जीवनीय भाग होते हैं शरीर में, जिन पर यदि चोट लग जाए तो व्यक्ति की जान तक जा सकती है और यदि उन्ही भागों पर प्रेशर दिया जाए तो कई सारी व्याधियों से मुक्ति पाई जा सकती है । इस विषय पर पहले सैद्धांतिक व्याख्यान हुआ तत्पश्चात मरीजों के ऊपर प्रत्यक्ष कर्म अभ्यास के द्वारा मर्म चिकित्सा का मर्म सभी उपस्थित प्रतिभागियों को सिखाया गया । कार्यशाला के द्वितीय सत्र में बेंगलुरु कर्नाटक से आए हुए डॉ विवेक जे ने सबसे पहले आज के समय की एक बड़ी विकराल समस्या कैंसर के ऊपर अपना सैद्धांतिक व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने ओरल कैंसर का आयुर्वेदिक मैनेजमेंट बताया इसके पश्चात उन्होंने प्रत्यक्ष कर्म अभ्यास के तहत जालंधर बंध के द्वारा मरीज का दांत निकलने का कर्माभ्यास कराया। इस कर्म अभ्यास में बिना किसी एनेस्थीसिया के केवल जालंधरबंध लगाकर के ही मरीज का दांत बिना किसी दर्द के निकाला जा सकता है। जालंधर बंध द्वारा बिना किसी दर्द के दांत निकालना परंपरागत रूप से किया जा रहा एक विशिष्ट कर्म है प्रत्यक्षता उन्होंने जालंधर बंध के द्वारा दांत निकालकर अपना कर्म अभ्यास सभी प्रतिभागियों को सिखाया ।
कार्यक्रम के तृतीय सत्र में पुणे महाराष्ट्र से आए हुए वैद्य चंद्रकुमारजी ने अग्निकर्म विद्धकर्म पर अपना व्याख्यान दिया । आयुर्वेद की एक ऐसी विधा अग्निकर्म विद्धकर्म है जिसमें किसी भी तरह के मरीज को कोई भी दर्द हो अग्निकर्म और विद्ध कर्म करके तुरंत मरीज को आराम प्राप्त हो जाता है । पहले अग्निकर्म विद्घ कर्म पर सैद्धांतिक व्याख्यान हुआ तत्पश्चात मरीजों पर प्रत्यक्ष कर्म अभ्यास भी डॉ चंद्रकुमार द्वारा करवाया गया।
अंत में कार्यक्रम के समापन सत्र के मुख्य अतिथि आरोग्य भारती के नेशनल एग्जीक्यूटिव मेंबर मिहिर कुमार थे अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में एलएनसीटी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ अजीत सोनी थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्राचार्य डॉ सपन जैन,डायरेक्टर डॉ विशाल शिवहरे व मुख्य वक्ता डॉ विवेक जे व डॉ चंद्रकुमार देशमुख थे। समापन सत्र में आरोग्य भारती के नेशनल एग्जीक्यूटिव मेंबर मिहिर कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं मूलतः टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से आता हूं लेकिन जब से आरोग्य भारती से जुड़ा हूं तब से स्वास्थ्य संबंधित क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा हूं । आज का समय आयुर्वेद का समय है आज लोग आयुर्वेद की ओर आ रहे हैं आने वाले जो विद्यार्थी हैं उनके लिए जो भविष्य है वह आयुर्वेद में बहुत ही अच्छा है