बाबा साहब कांग्रेस के लिए सिर्फ वोट बैंक, जनता के सामने उसका दोहरा चरित्र उजागर: डॉ मोहन यादव

-केन्द्रीय मंत्री शाह के भाषण को एडिट कर झूठ प्रसारित करने का षड्यंत्र कर रही कांग्रेसः मुख्यमंत्री

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर वंचित, शोषित व गरीबों की बात करते थे, कांग्रेस पार्टी और उनके नेता जवाहरलाल नेहरू इसी कारण बाबा साहब का विरोध करते थे। कांग्रेस ने बाबा साहब को पहले 1952 का लोकसभा चुनाव हरवाया, इसके बाद उपचुनाव में भी हराने का कार्य किया। जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस का बाबा साहब के प्रति दोहरा चरित्र इसी बात से उजागर होता है कि जिन काजरोलकर ने बाबा साहब को उपचुनाव में कांग्रेस की मदद से हराया, उन्हें कांग्रेस की सरकार ने पद्म भूषण दे दिया। बाबा साहब की वैश्विक स्तर पर पहचान और नाम होने के बाद भी उन्हें भारत रत्न व कोई सम्मान नहीं मिला। डॉ. अंबेडकर के मामले में कांग्रेस का दोहरा चरित्र उजागर जनता के सामने उजागर हो चुका है। कांग्रेस बाबा साहब को सिर्फ वोट बैंक मानती है, चुनावों के समय याद करती है। कांग्रेस को देश से माफी मांगना चाहिए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव भारत रत्न स्व. डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति कांग्रेस पार्टी के दोहरे रवैये को लेकर मंगलवार देर शाम प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकार-वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनावों में मिल रही लगातार हार से बौखला रही है और वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण को एडिट कर जनता के बीच झूठ प्रसारित कर षड्यंत्र कर रही है। कांग्रेस को मध्य प्रदेश की जनता ने पहले विधानसभा फिर लोकसभा चुनाव में नकार कर बता दिया है कि बाबा साहब के विचारों का सच्चा सम्मान करने वाली भाजपा के साथ है।

उन्होंने कहा कि बाबा साहब के विचारों का सच्चा सम्मान भाजपा ने किया है। कांग्रेस को विपक्ष में रहकर जनता के विश्वास हासिल करने के लिए कार्य करना चाहिए। कांग्रेस ने बाबा साहब को देश के कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। कांग्रेस को अपने नेताओं और पं. नेहरू द्वारा किए गए बाबा साहब अंबेडकर के अपमान के लिए पूरे देश से बिना शर्त माफी मांगना चाहिए।

कांग्रेस ने बाबा साहब को परेशान किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की सोच हमेशा अंबेडकर विरोधी रही है। जब भी कोई व्यक्ति मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देता है, तो सदन में उसे बोलने का मौका दिया जाता है। लेकिन बाबासाहब के इस्तीफे के बाद सदन में उन्हें बोलने तक नहीं दिया गया। अपने त्याग पत्र में बाबा साहब अंबेडकर ने पंडित नेहरू के खिलाफ लिखा था कि “मैं वित्त और उद्योग क्षेत्र में शिक्षित था, मगर मुझे उससे जुड़ा एक भी विभाग नहीं दिया गया और न ही संसदीय कमेटी का हिस्सा बनाया गया। मुझे कानून मंत्रालय दिया मगर ईमानदारी से काम नहीं करने दिया गया। मुझे हिंदू कोड बिल के कार्य को पूरा नहीं करने दिया गया। केवल मुसलमानों की चिंता की गई, लेकिन एससी और एसटी को उचित संरक्षण प्रदान नहीं किया गया। प्रधानमंत्री का सारा ध्यान सिर्फ मुस्लिम समुदाय पर केंद्रित रहता है। मुसलमानों के संरक्षण से मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन क्या देश में केवल मुसलमानों को ही सुरक्षा की आवश्यकता है? बाबा साहब के इस सच से घबराई कांग्रेस पार्टी और पं. नेहरू ने उनके त्यागपत्र को जनता के बीच नहीं आने दिया।

सम्मान तो दूर, बाबा साहब का मजाक उड़ाती थी कांग्रेस
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा साहब का सम्मान करना तो दूर की बात है, कांग्रेस के नेता और पं. नेहरू उनका मजाक उड़ाया करते थे। बाबा साहब ने जब इस्तीफा दिया था, तो पं. नेहरू ने डॉ. बी.सी. राय को लिखे पत्र में कहा था कि भीमराव अंबेडकर के इस्तीफे से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यही नहीं, बल्कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तो एडविना माउंटबेटन को पत्र लिखकर बाबा साहब के कैबिनेट में न रहने की खुशी जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि ऐसी सोच और चरित्र वाली कांग्रेस पार्टी आज बाबा साहब के सम्मान की बात कर रही है, जो एक बहुत ही शर्मनाक है। कांग्रेस पार्टी को अपना यह ढोंग बंद करना चाहिए।

कांग्रेस ने की उपेक्षा, भाजपा सरकार ने दिया सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी कोई बड़ा नेता जाता है, तो उनकी विरासत को संजोया जाता है। लेकिन कांग्रेस की सरकार ने बाबा साहब का एक भी स्मारक बनाने की अनुमति नहीं दी। कांग्रेस ने बाबा साहब की स्मृतियाँ संजोने के लिए कोई कदम नहीं उठाए, अड़चनें डालती रही। कांग्रेस देश में सैकड़ों स्मारक, अस्पताल, सड़कों के नाम पं. नेहरू, इंदिरा गांधी, संजय गांधी और राजीव गांधी के नाम पर रखने में लगी रही। बाबा साहब के जन्मस्थान मध्य प्रदेश में उनका स्मारक बनाने का काम भाजपा के मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा के कार्यकाल में हुआ था और स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने उसका उद्घाटन किया था। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने दिल्ली स्थित अंबेडकर सेंटर के लिए स्थान की स्वीकृति दी थी, लेकिन कांग्रेस ने उसे बनने नहीं दिया। जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरन्द्र मोदी की सरकार आई, तब अंबेडकर सेंटर बनकर तैयार हुआ। मोदी सरकार ने लंदन में जहां बाबा साहब रहे थे, वहां भी उनका स्मारक बनावाया। दिल्ली में उनके निवास स्थान पर, नागपुर की दीक्षा भूमि और मुंबई की चैत्य भूमि में भी स्मारक बनवाए। भाजपा बाबा साहब के प्रति कांग्रेस की इस नफरती सोच का पूरा काला चिट्ठा जनता के सामने रखेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के लिए बस एक परिवार ही सब कुछ है। कांग्रेस केवल उसी परिवार के यशोगान में लगी रहती है। भाजपा ने बाबा साहब और सरदार पटेल को जो सम्मान दिया, वह सर्वविदित है। सरदार पटेल की मृत्यु 1950 में हो गई थी, मगर उन्हें भारत रत्न 42 वर्ष बाद, 1991 में दिया गया। मौलाना आजाद की मृत्यु 1959 में हुई, लेकिन उन्हें भारतरत्न 1992 में दिया गया। 1991 में भारत के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव थे। तब भी गांधी परिवार का कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री होता, तो इन सभी को भारत रत्न नहीं मिला होता। अबुल कलाम आजाद और सरदार पटेल, नेहरूजी के विरोधी थे, इसलिए कांग्रेस ने उनका सम्मान नहीं किया और यही रवैया बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के साथ भी अपनाया गया। प्रेसवार्ता करने से पहले राहुल गांधी को अपने परिवार के इस इतिहास को देखना चाहिए। जिस कांग्रेस पार्टी ने डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा का सदस्य तक नहीं बनने दिया, वही कांग्रेस पार्टी देश भर में भाजपा के खिलाफ प्रेसवार्ताओं का नाटक कर रही है, बाबा साहब के प्रति प्रेम का दिखावा कर रही है। देश की जनता बहुत परिपक्व है और सब समझती है। कांग्रेस कुछ भी कर ले, लेकिन उसकी दाल नहीं गलने वाली है।