अमेरिकी वित्त मंत्री के सुर बदले, बोले- भारत-US दो महान देश, अंत में हम एक साथ आएंगे
वाशिंगटन। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट (American Finance Minister Scott Bessant) ने मंगलवार को भारत (India) और अमेरिका (America) के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव को लेकर भरोसा जताया कि दोनों “महान देश” अंततः समाधान निकाल लेंगे। बता दें कि ट्रंप प्रशासन पिछले कुछ समय से भारत को लेकर बेहद सख्त भाषा का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन वित्त मंत्री को अभी भी भारत-अमेरिका के रिश्तों में सकारात्मक पहलू दिख रहा है। इससे पहले अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने बुधवार को भारत-अमेरिका संबंधों को ‘बहुत जटिल’ बताते हुए उम्मीद जताई कि अंत में हम साथ आएंगे। बेसेंट ने कहा, “यह रिश्ता बहुत जटिल है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के बीच अच्छे रिश्ते हैं। और यह मामला सिर्फ रूसी तेल का नहीं है।” बेसेंट ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। ‘‘मुझे लगता है कि अंत में हम एक साथ आएंगे।’’
हालांकि, उन्होंने चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के महत्व को कम करके आंका, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। फॉक्स न्यूज से बातचीत करते हुए बेसेन्ट ने कहा, “यह एक पुराना सम्मेलन है, जिसे शंघाई सहयोग संगठन कहा जाता है, और मुझे लगता है कि यह काफी हद तक दिखावटी है। मेरे ख्याल से, अंततः भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। उनके मूल्य रूस-चीन की तुलना में हमारे ज्यादा करीब हैं।”
रूस से तेल खरीद पर नाराजगी
अमेरिकी वित्त मंत्री से जब भारत के रूस से बढ़ते ऊर्जा संबंधों पर सवाल पूछा गया, खासकर रियायती दर पर कच्चा तेल खरीदने और पुनः निर्यात करने के मुद्दे पर, तो उन्होंने इसे “यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषित करने वाला कदम” बताया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि अंत में दोनों महान देश इस मुद्दे को सुलझा लेंगे। लेकिन रूसी तेल खरीदने और उसे फिर से बेचने के मामले में भारत ने अच्छा व्यवहार नहीं किया है, जिससे यूक्रेन में रूस के युद्ध प्रयासों को वित्तीय मदद मिल रही है।”
रूस पर और प्रतिबंधों के संकेत
बेसेंट ने पुष्टि की कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस के खिलाफ और कड़े प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप के साथ, सभी विकल्प खुले हैं। रूस लगातार यूक्रेन पर हमले बढ़ा रहा है, इसलिए हम इस सप्ताह इन कदमों की गहन समीक्षा करेंगे।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस ने कीव पर मिसाइल और ड्रोन हमलों की नई बौछार की, जिसमें कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई, जिनमें चार बच्चे भी शामिल थे। बेसेंट ने कहा कि पुतिन ने शांति की बातचीत की बजाय “घृणित ढंग से” बमबारी तेज कर दी है।
ट्रंप और अन्य अधिकारियों के तीखे बयान
इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया पर भारत-अमेरिका रिश्तों को “पूरी तरह एकतरफा” करार दिया और नई दिल्ली पर “दुनिया में सबसे ऊंचे टैरिफ” लगाने का आरोप लगाया। भारत ने पहले ही इन आरोपों को “अनुचित और अव्यवहारिक” बताते हुए खारिज किया है। नई दिल्ली का कहना है कि उसकी ऊर्जा सुरक्षा और कृषि हितों के साथ कोई समझौता संभव नहीं है। वहीं, ट्रंप प्रशासन के वाणिज्य सलाहकार पीटर नवारो ने भारतीय रिफाइनरियों पर रूस के लिए “तेल मनी लॉन्ड्रिंग हब” बनने का आरोप लगाया। नवारो ने यहां तक कहा कि “ब्राह्मण भारतीय जनता की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं।”
भारत पर नए टैरिफ का दबाव
ट्रंप प्रशासन ने पहले ही भारतीय वस्तुओं पर 25% का पारस्परिक शुल्क और रूस से जुड़ी तेल आयात पर अतिरिक्त 25% शुल्क लगा दिया है। इस तरह भारतीय निर्यात और तेल आयात पर कुल 50% शुल्क लग गया है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे टैरिफ में से एक है। नवारो ने प्रधानमंत्री मोदी को “महान नेता” बताते हुए भी चेताया कि पुतिन और शी जिनपिंग के साथ भारत की नजदीकियां “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की साख” को कमजोर करती हैं।
