Rajasthan: सिरोही में अचानक आई बाढ़, मातर माता मंदिर में फंसे 290 श्रद्धालु..

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सिरोही। राजस्थान (Rajasthan) के सिरोही जिले (Sirohi district) के शनिवार दोपहर मातर माता मंदिर (Matar Mata Temple) में ऐसा मंजर देखने को मिला, जिसे जिसने भी देखा उसकी सांसें थम गईं। धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने आए करीब 290 श्रद्धालु (290 Devotees) अचानक आई बाढ़ (Flash Flood) के बीच मंदिर में कैद होकर रह गए। पहाड़ी से उमड़ते पानी का बहाव इतना तेज था कि लोगों का बाहर निकलना नामुमकिन हो गया। मंदिर की सीढ़ियाँ पूरी तरह डूब चुकी थीं और श्रद्धालु मदद की आस में इधर-उधर भाग रहे थे।

दोपहर लगभग 12:30 बजे सिरोही पुलिस कंट्रोल रूम से एसडीआरएफ राजस्थान को सूचना मिली। संदेश साफ था—“मातर माता मंदिर में सैकड़ों लोग फंसे हैं, पानी का बहाव खतरनाक स्तर पर है।” कुछ ही देर में एसडीआरएफ कमांडेंट राजेंद्र सिंह सिसोदिया ने अपनी टीम को रवाना करने के आदेश दिए। आदेश मिलते ही रेस्क्यू टीम F-06 के प्रभारी ओम सिंह 8 जवानों और आपदा राहत उपकरणों के साथ घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े।

करीब 1:00 बजे टीम मंदिर के पास पहुँची। नज़ारा दिल दहला देने वाला था। श्रद्धालु घबराए हुए थे, चीख-पुकार मची हुई थी और पहाड़ी से उतरते पानी की गड़गड़ाहट किसी भी वक्त बड़ा हादसा होने का संकेत दे रही थी। रास्ता बंद था, सीढ़ियाँ पानी में डूबी थीं और हालात हर पल बिगड़ते जा रहे थे। टीम ने तुरंत हालात का जायजा लिया और समझ लिया कि सामान्य रास्ते से निकालना असंभव है।

उस पल टीम कमांडर ने जोखिम भरा लेकिन कारगर फैसला लिया। तय हुआ कि श्रद्धालुओं को पहाड़ी से रस्सी की मदद से नीचे उतारा जाएगा। यह आसान नहीं था—एक छोटी सी चूक सैकड़ों ज़िंदगियों को खतरे में डाल सकती थी। टीम के बहादुर जवान अर्जुनराम, संजय मेहरा, भैराराम, भगवानराम, महेंद्र राणा, दिनेश कुमार और रोहिताश्व तुरंत हरकत में आए। उन्होंने मंदिर से नीचे तक एक मजबूत रस्सी बांधी। पानी की गर्जना, श्रद्धालुओं की दहशत और आसमान में गूंजती गरज—इन सबके बीच बचाव अभियान शुरू हुआ।

एक-एक कर लोगों को रस्सी के सहारे नीचे उतारा जाने लगा। बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग—हर किसी को जवान अपनी जान पर खेलकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचा रहे थे। हर बार जब कोई रस्सी पकड़कर नीचे उतरता, पूरा मंदिर राहत की सांस लेता। लेकिन राहत क्षणिक थी, क्योंकि अभी सैकड़ों जानें और बचानी बाकी थीं। यह रोमांचक रेस्क्यू अभियान दोपहर 1 बजे से लगातार चलता रहा। जवान बिना रुके, बिना थके चार घंटे तक बाढ़ और अंधेरे से लड़ते रहे। पानी का बहाव बढ़ता जा रहा था, लेकिन उनके इरादे और मज़बूत होते जा रहे थे। शाम 5 बजे तक जब अंतिम श्रद्धालु सुरक्षित बाहर निकला तो पूरे इलाके में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी।