छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर खुलेगा CRPF का वॉर फेयर ट्रेनिंग स्कूल, केन्द्र ने दी मंजूरी

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central government) ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (Central Reserve Police Force- CRPF) का वॉर फेयर (War Fair) छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा (Chhattisgarh-Telangana Border.) पर कर्रेगुट्टा में खोलने को मंजूरी दे दी है। 700 एकड़ भूमि पर बनाया जाने वाला यह ट्रेनिंग कैंप नक्सलियों के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई में नया हथिया साबित होगा। कर्रेगुट्टा पहाड़ को पहले नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले की सीमा से लगी इस पहाड़ी पर कुछ दिनों पहले सबसे बड़ा ऑपरेशन चलाया गया था, जिसमें 31 नक्सली मारे गए थे।

छत्तीसगढ़ समेत देशभर से नक्सलवाद को खत्म करने की डेडलाइन मार्च 2026 तय की गई है। जिसे पूरा करने के लिए बस्तर में मॉनसून में भी ऑपरेशन चलाया जा रहा है। बस्तर की सीमा से लगे इलाके एक समय पर नक्सलियों का गढ़ हुआ करते थे, जिसे सुरक्षा बलों ने ध्वस्त कर दिया है। कुर्रेगुट्टा की इसी पहाड़ी पर एंटी नक्सल ऑपरेशन के तहत सुरक्षा बलों ने मई 2025 में 21 दिनों तक ऑपरेशन चलाकर 31 कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया था। नक्सलियों का टॉप कमांडर बसवराजु भी इस ऑपरेशन के दौरान मारा गया था। इस कुख्यात नक्सली पर एक करोड़ का इनाम घोषित था। इन्हीं सफलताओं को देखते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कर्रेगुट्टा में CRPF का वॉर फेयर ट्रेनिंग स्कूल बनाने की मंजूरी दे दी है।

नक्सलियों के गढ़ को खाली कराने की रणनीति
CRPF का वॉरफेयर कर्रेगुट्टा में खुलने से ना केवल नक्सलियों की कमर टूटेगी बल्कि बस्तर के विकास को भी नई ऊंचाई मिलेगी। यहां कैंप खुलने से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा और क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था भी मजबूत होगी। केंद्र और राज्य सरकार का यह कदम नक्सलियों के गढ़ को पूरी तरह खाली कराने की रणनीति का हिस्सा है। वॉर फेयर ट्रेनिंग स्कूल खुलना इस बात का संकेत देता है कि अब नक्सलियों को उनके पुराने ठिकानों से भी बेदखल कर दिया जाएगा।

नक्सलवाद को खत्म करने में मदद मिलेगी
छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि कर्रेगुट्टा में बनने वाले इस कैंप के लिए वन्य जीव कल्याण बोर्ड की बैठक में हरी झंडी मिल चुकी है। यह ट्रेनिंग स्कूल आधुनिक हथियारों, जंगल वॉरफेयर और स्पेशल ऑपरेशंस की ट्रेनिंग का प्रमुख केंद्र होगा। इससे नक्सलियों का सफाया करने में मदद मिलेगी। अभी छत्तीसगढ़ के एंटी नक्सल मोर्चे पर सीआरपीएफ के जवान लगातार नक्सलियों से लोहा ले रहे हैं। सुरक्षा बलों को इससे और फायदा मिलेगा।