मुनाफाखोर निवेशक और बिल्डर की गतिविधियों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने हालिया फैसले में रियल एस्टेट सेक्टर (Real estate sector) में चल रही गड़बड़ियों और मुनाफाखोर निवेशकों (Profiteering Investors) की गतिविधियों पर सख्ती बरती है। अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा है कि बिल्डर ऐसे अनुबंध न करें, जिसमें असली फ्लैट खरीदारों के बजाए मुनाफाखोर निवेशकों को फायदा पहुंचे। इसके लिए असल खरीदारों की पहचान सुनिश्चित करनी होगी।
माना जा रहा है कि अदालत के इस फैसले से सिर्फ मुनाफे के लिए फ्लैट खरीदने वाले खरीदारों और बिल्डरों की साठगांठ पर रोक लगेगी। कोर्ट ने कहा है कि हर नागरिक को घर का अधिकार है और सरकार की जिम्मेदारी है कि घर खरीदने वालों के साथ कोई धोखा या शोषण न हो।
[relpost]
1. यदि समझौते में ‘पुनर्खरीद ’ या ‘अनिवार्य रिटर्न’ जैसी शर्त है, तो ग्राहक को मुनाफा कमाने वाला (स्पेक्युलटिव) माना जाए।
2. एक व्यक्ति द्वारा कई यूनिट खरीदना, असाधारण अनुबंध या तय समय में असाधारण ब्याज दर, ये भी मुनाफे की निशानी मानी जाएगी।
3. राज्य सरकार के विभाग और स्थानीय एजेंसियों को ऐसी योजनाओं पर कड़ी नजर रखनी होगी और नियम कड़ाई से लागू करने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला किसलिए आया है?
असली घर खरीददारों और उन लोगों के लिए, जो अधूरे प्रोजेक्ट में फंसे हुए हैं। कोर्ट ने माना है कि घर खरीदना नागरिक का मौलिक अधिकार है।
मुनाफा कमाने वाले फ्लैट निवेशक कौन होते हैं?
जो घर रहने के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ मुनाफे के लिए खरीदते हैं और जल्दी बेचकर निकल जाते हैं।
इससे आम खरीदारों को क्या नुकसान होता है?
ऐसे निवेशक नकली मांग और ऊंची कीमतें पैदा करते हैं, प्रोजेक्ट अधूरे छूट जाते हैं और असली खरीदार फंस जाते हैं।
सेल डीड या प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन की नई शर्त क्या है?
अब फ्लैट या घर की रजिस्ट्री तभी होगी जब खरीदार कम से कम 20% कीमत दे चुका होगा। इससे हर खरीदारी सुरक्षित रहेगी।
बिल्डरों पर क्या सख्ती होगी?
बिल्डरों पर निगरानी कड़ी होगी। अगर वे अनुबंध का पालन नहीं करते हैं तो सरकार और कोर्ट कार्रवाई करेगी। यहां तक कि परियोजना किसी दूसरी कंपनी को भी दी जा सकती है।
आम खरीदार आगे क्या करें?
अगर घर खरीद रहे हैं तो रेरा-पंजीकृत परियोजना ही चुनें। अनुबंध की हर शर्त ध्यान से पढ़ें। विवाद होने पर तुरंत रेरा या कोर्ट की मदद लें।
समस्या कहां सबसे ज्यादा हुई?
दिल्ली-एनसीआर में, जहां हजारों खरीदार अधूरी आवासीय परियोजनाओं में फंस गए।
फैसले से असल खरीदार को क्या फायदा मिलेगा?
असली खरीदार का पैसा और उसका घर कानूनी रूप से सुरक्षित रहेगा, समय पर कब्जा मिलेगा और विवाद होने पर प्राथमिकता मिलेगी।
रेरा की भूमिका क्या है?
रेरा अब और सशक्त होगी। हर प्रोजेक्ट की गहरी जांच करेगी, ट्रिब्यूनल जल्दी सुनवाई करेगी और फैसले का पालन करवाएगी।
अगर प्रोजेक्ट अधूरा या दिवालिया हो जाए तो क्या होगा?
ऐसे प्रोजेक्ट के लिए सरकार फंड बनाएगी, जिससे काम रुकने की बजाय समय पर सही तरीके से पूरा कराया जा सके और खरीदारों को नुकसान न हो।
