ओडिशा: मलकानगिरी में महिला की सिर कटी लाश से भड़की हिंसा, दो समुदायों में झड़प, सोशल मीडिया बैन
अफवाहें और भड़काऊ मैसेज रोकने के लिए राज्य सरकार ने पहले 8 दिसंबर शाम 6 बजे से 9 दिसंबर शाम 6 बजे तक 24 घंटे का पूर्ण इंटरनेट शटडाउन लागू किया था। अब इसे आगे बढ़ाया गया है। गृह विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि कुछ असामाजिक तत्व व्हाट्सएप, फेसबुक और X जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर झूठे, भड़काऊ और उत्तेजक मैसेज प्रसारित कर रहे थे, जिससे सार्वजनिक शांति और कानून-व्यवस्था को गंभीर खतरा पैदा हो गया था।
मलकांगिरी कलेक्टर ने सोमवार शाम संवाददाताओं को बताया- दोनों समुदायों के बीच बातचीत के बाद स्थिति अब शांतिपूर्ण है। दोनों पक्षों ने अपने-अपने प्रतिनिधि नामित कर दिए हैं। शांति समिति की बैठक होगी। हमें उम्मीद है कि जल्द ही पूर्ण सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी। प्रारंभिक आकलन के अनुसार हिंसा में 163 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने मृतका के परिजनों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मंजूर की है। मृतका के बेटे को तत्काल राहत के रूप में पहले ही 30 हजार रुपये दे दिए गए हैं। पोस्टमार्टम के बाद सोमवार को ही अंतिम संस्कार कर दिया गया।
अभी तक नहीं मिला कटा सिर
महिला का कटा सिर अभी तक नहीं मिला है। वैज्ञानिक टीम, स्निफर डॉग दस्ता और ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स (ODRAF) की टीम मौके पर पहुंच चुकी है और सिर की तलाश एवं सबूत जुटाने का काम जारी है। हिंसा प्रभावित इलाकों में भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है और शांति समिति की बैठक के बाद सामान्य जनजीवन जल्द बहाल करने की कोशिश की जाएगी।
किसकी है लाश और कैसे शुरू हुआ बवाल?
चार दिसंबर को राखेलगुडा गांव के पास नदी के किनारे से 51 वर्षीय विधवा लेक पदियामी का धड़ बरामद होने के बाद क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया था। यह झड़प रविवार दोपहर को हुई जब राखेलगुडा गांव के आदिवासियों ने कोरकुंडा सदर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बंगाली आबादी के इलाके एमवी-26 गांव पर कथित तौर पर हमला किया।
पुलिस ने बताया कि भीड़ ने कम से कम एक दर्जन घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया, कुछ वाहनों को नष्ट कर दिया तथा कम से कम चार घरों को आग लगा दी। अधिकारियों ने बताया कि दो गांवों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जबकि समूचे मलकानगिरी में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं।
मलकानगिरी बंगाली समाज के अध्यक्ष गौरांग कर्मकार के नेतृत्व में हजारों लोगों ने जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और एमवी-26 गांव पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। संगठन ने प्रशासन को दी गई याचिका में कहा कि हमले के दौरान एमवी-26 गांव के अधिकांश निवासी भाग गए हैं।
बड़ी संख्या में घुसपैठिये जिले में घुस आए
एक अलग याचिका में जिला आदिवासी समाज महासंघ ने आरोप लगाया कि 1978 से 1980 के बीच बड़ी संख्या में घुसपैठिये जिले में घुस आए थे। उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया और स्थानीय आदिवासियों का शोषण किया। इसमें मांग की गई कि पुलिस हत्या के आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करे और महिला का गायब सिर बरामद करे।
जिला आदिवासी समाज महासंघ, मलकानगिरी के बैनर तले आदिवासियों ने एक याचिका में अवैध घुसपैठियों और महिला की हत्या करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत सरकार ने 1964 में मलकानगिरी जिले के 215 गांवों और नवरंगपुर जिले के उमरकोट और रायगढ़ के 65 गांवों में प्रवासी बंगाली परिवारों को बसाया था। ये बंगाली पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए थे।
