जबलपुर में बाबरी मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन: शौचालय के बाहर बाबर के नाम के लगाए गए पोस्टर

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जबलपुर । जबलपुर में हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को भंवरताल कल्चलर स्ट्रीट पर एक प्रदर्शन आयोजित किया। इस प्रदर्शन में संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण के विरोध में नारेबाजी की और कुछ विवादास्पद पोस्टर भी लगाए। ये पोस्टर सुलभ शौचालय के बाहर लगाए गए थेजिनमें बाबर के नाम की तस्वीरें और आपत्तिजनक संदेश लिखे गए थे।

सूचना मिलते ही ओमती थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को संभालने की कोशिश की। पुलिस अधिकारियों के अनुसारइस तरह के प्रदर्शन और पोस्टर का उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को भड़काना और सामाजिक सौहार्द्र को बिगाड़ना हो सकता है। हालांकिपुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है और संबंधित कार्यकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात भी कही है।

हिंदूवादी संगठन के पदाधिकारी विकास खरे ने इस प्रदर्शन को बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण के खिलाफ एक विरोध के रूप में प्रस्तुत किया। खरे ने कहा कि “पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया जा रहा हैजो निंदनीय है। यह हमारे देश की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के खिलाफ हैऔर हम इसका विरोध करते हैं।” उनके मुताबिकइस प्रदर्शन के माध्यम से उन्होंने देशभर में बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण के खिलाफ लोगों को जागरूक करने की कोशिश की है।

इसके अलावाप्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर बाबरी मस्जिद के निर्माण को लेकर गलत संदेश फैला रहे हैं और इससे देश के हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया जा रहा है। उनका कहना था कि बाबरी मस्जिद का निर्माण भारत की धार्मिक एकता को कमजोर करेगाऔर इस पर बडे़ पैमाने पर विरोध होना चाहिए।

वहींइस प्रदर्शन के बाद कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने इसका विरोध किया है। उनका मानना है कि इस प्रकार के विरोध प्रदर्शन समाज में तनाव पैदा करते हैं और धार्मिक घृणा को बढ़ावा देते हैं। कुछ लोगों ने इसे संवेदनशील मुद्दा बताया और कहा कि इस तरह के प्रदर्शन से केवल सामाजिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचता है।

किसी भी प्रकार के धार्मिक या सांप्रदायिक विवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां भारत के संवेदनशील समाज के लिए खतरे का संकेत हो सकती हैं। भारत में धार्मिक और सांप्रदायिक एकता को बनाए रखने के लिए सभी समुदायों को एक दूसरे के विश्वास और भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।

पुलिस प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और ऐसे प्रदर्शनों को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के विवादास्पद प्रदर्शन और पोस्टर लगाने से किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया जा सकता हैजो कि कानूनन गलत है।

अंततःयह घटनाएं यह दर्शाती हैं कि आज भी हमारे समाज में सांप्रदायिक मुद्दे अत्यधिक संवेदनशील हैंऔर इन्हें समझदारी और संयम से हल किया जाना चाहिए। हमें यह समझना होगा कि हमारी एकता और अखंडता ही हमें मजबूत बनाती हैऔर हर किसी को अपने विश्वास और विचारों का सम्मान करते हुए एक साथ जीने की कोशिश करनी चाहिए।