एक शख्स को बचाने में क्यों जुटा शासन, संदेशखाली केस में सीबीआई जांच के खिलाफ बंगाल सरकार की याचिका खारिज

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका खारिज कर दिया, जिसमें संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने और जमीन हड़पने के आरोपों की सीबीआई जांच कराने का निर्देश देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पहले ही राज्य ने इस मामले में महीनों तक कुछ नहीं किया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर शासन एक शख्स को बचाने में क्यों जुटा है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा, किसी को बचाने में राज्य की रूचि क्यों होनी चाहिए? बेंच ने कहा कि पिछली सुनवाई में जब शीर्ष अदालत ने यह विशेष प्रश्न पूछा था तो राज्य सरकार के वकील ने कहा था कि मामले को स्थगित किया जाए। जजों ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, धन्यवाद। याचिका खारिज की जाती है।

इससे पहले 29 अप्रैल को याचिका पर सुनवाई करते हुए भी सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा था कि निजी क्षेत्र के कुछ लोगों के हितों को बचाने के लिए राज्य को एक याचिकाकर्ता के रूप में क्यों आना चाहिए? पश्चिम बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत में अपनी याचिका में कहा था कि उच्च न्यायालय के आदेश ने पुलिस बल समेत राज्य के संपूर्ण तंत्र का मनोबल कमजोर कर दिया। संदेशखाली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमले के मामले की जांच पहले से ही सीबीआई कर रही है और उसने पांच जनवरी की घटनाओं से संबंधित तीन प्राथमिकी दर्ज की हैं।

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