पौराणिक वैभव का डिजिटल रूपांतरण, उज्जैन को मिलेगी नई सांस्कृतिक पहचान

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उज्जैन
। उज्जैन की पौराणिक विरासत और धार्मिक परंपराओं को आधुनिक डिजिटल तकनीक के माध्यम से विश्व के सामने प्रस्तुत करने के लिए एक विशेष परियोजना पर काम शुरू कर दिया गया है। यह पहल शहर की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के साथ-साथ उसे वैश्विक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है।

यह योजना स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर एसपीए भोपाल द्वारा तैयार की गई है। इसके तहत उज्जैन के मंदिरों, धार्मिक कथाओं और अमूर्त सांस्कृतिक स्मृतियों को डिजिटल रिपोजिटरी इंटरैक्टिव तकनीक, स्टोरीटेलिंग एप्स और बोर्ड गेम्स के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य न केवल स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को उज्जैन की विरासत से जोड़ना है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शहर की सांस्कृतिक महत्ता को उजागर करना है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह डिजिटल मॉडल सिंहस्थ 2028 के आयोजन से पहले उज्जैन को विश्वस्तरीय धार्मिक और सांस्कृतिक गंतव्य के रूप में स्थापित करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में वर्ष 2028 में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें लगभग 30 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान है।

इसे देखते हुए पहले ही शहर में सड़क चौड़ीकरण, हवाई सेवाओं के विस्तार और रेल सुविधाओं को मजबूत करने की तैयारियाँ तेज हो चुकी हैं। इसी कड़ी में यह डिजिटल परियोजना उज्जैन की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक स्वरूप में दुनिया तक पहुंचाने का एक अनूठा प्रयास है।

योजना के तहत उज्जैन की धार्मिक कथाओं, मंदिरों के इतिहास और स्थानीय परंपराओं को डिजिटल रूप में संरक्षित किया जाएगा। इसमें इंटरैक्टिव मैप्स, आभासी टूर, 3डी मॉडलिंग, एनीमेशन और स्टोरीटेलिंग ऐप्स शामिल होंगे। इससे न केवल श्रद्धालु और पर्यटक, बल्कि शोधकर्ता और इतिहासकार भी आसानी से शहर की सांस्कृतिक धरोहर तक पहुँच सकेंगे। इस डिजिटल संग्रहालय और रिपोजिटरी में शहर के मंदिरों, प्राचीन स्थलों और पौराणिक कथाओं का विस्तृत विवरण रखा जाएगा, जो उज्जैन के धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को प्रदर्शित करेगा।

एसपीए के विशेषज्ञों ने बताया कि यह परियोजना केवल तकनीकी दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। डिजिटल माध्यम से युवा पीढ़ी को शहर की विरासत से जोड़ने के साथ-साथ पर्यटकों को भी आकर्षित किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त, यह पहल स्थानीय कलाकारों, कथाकारों और इतिहासकारों को अपनी कला और ज्ञान साझा करने का अवसर भी प्रदान करेगी।

शहर के पर्यटन विभाग ने इस पहल को उज्जैन के वैश्विक पहचान बनाने की दिशा में अहम कदम बताया है। विभाग के अनुसार, डिजिटल तकनीक के माध्यम से तैयार यह परियोजना शहर की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक होगी। इसके साथ ही यह पहल स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन उद्योग को भी मजबूती प्रदान करेगी।

उज्जैन में पौराणिक वैभव और आधुनिक डिजिटल तकनीक का यह संगम, आने वाले समय में शहर को न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में एक प्रमुख धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह परियोजना सिंहस्थ 2028 से पहले उज्जैन की सांस्कृतिक पहचान को नई दिशा देने में निर्णायक साबित होगी और शहर को आधुनिक युग की डिजिटल विरासत से जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेगी।