आखिर, पीएम मोदी की जापान यात्रा क्‍यों है भारत के हितो के लिए जरूरी, यहां जानें सबकुछ

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नई दिल्‍ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 अगस्त की शाम जापान की आधिकारिक यात्रा पर रवाना हो रहे हैं और 29 और 30 अगस्त को जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह दौरा प्रधानमंत्री मोदी की लगभग सात वर्षों में पहली द्विपक्षीय जापान यात्रा है और पूरी तरह भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय एजेंडे को समर्पित होगा। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने स्पष्ट किया है कि इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों की मित्रता को और मजबूत करना और सहयोग के नए रास्ते खोलना है। उन्होंने यह भी कहा कि यह दौरा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा पिछले सात वर्षों में उनकी पहली ऐसी जापान यात्रा है जो पूरी तरह द्विपक्षीय एजेंडे पर केंद्रित है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत-जापान संबंध अब बहुपक्षीय आयोजनों से आगे बढ़कर वास्तविक, ठोस और दीर्घकालिक सहयोग की दिशा में अग्रसर हैं। यह मोदी की आठवीं जापान यात्रा भी है, जो इस बात को दर्शाती है कि भारत अपने इस साझेदार को रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से उच्च प्राथमिकता देता है। पिछले वर्षों में भारत और जापान के संबंधों का दायरा केवल व्यापार और निवेश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें सुरक्षा, तकनीकी नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढाँचे और सांस्कृतिक सहयोग शामिल हैं।

भारत और जापान के बीच व्यापार और निवेश संबंध

आर्थिक दृष्टि से यह यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत और जापान के बीच पिछले एक दशक में व्यापार और निवेश संबंध लगातार विकसित हुए हैं। जापान भारत में बुनियादी ढाँचे, तकनीकी और औद्योगिक निवेश का एक प्रमुख स्रोत रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच नए निवेश समझौते और व्यापार समझौते होने की संभावना है। इस निवेश से भारत की अर्थव्यवस्था में गति आएगी, रोजगार सृजन बढ़ेगा और औद्योगिक विकास को बल मिलेगा। जापानी निवेश से भारत में रेल नेटवर्क, स्मार्ट शहर परियोजनाओं, सड़क और पोर्ट विकास जैसे क्षेत्रों को गति मिलेगी। इसके अलावा, यह निवेश भारत की “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” पहल को सशक्त बनाएगा और विदेशी निवेशकों के लिए भारत को एक भरोसेमंद और स्थिर गंतव्य के रूप में स्थापित करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का दूसरा प्रमुख पहलू

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का दूसरा प्रमुख पहलू है रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग। भारत और जापान दोनों ही लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए साझा दृष्टिकोण रखते हैं। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को और गहरा करने के प्रयास होंगे। इसमें समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग, और सामरिक प्रशिक्षण के क्षेत्रों में नए समझौतों की संभावना है। भारत-जापान रक्षा सहयोग समुद्री मार्गों में सुरक्षा सुनिश्चित करने, क्षेत्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और आपसी सामरिक विश्वास को बढ़ाने में मदद करेगा। यह सहयोग केवल भारत और जापान के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।

तकनीकी और हरित ऊर्जा सहयोग

तीसरा महत्वपूर्ण पहलू है तकनीकी और हरित ऊर्जा सहयोग। जापान तकनीकी नवाचार और स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में अग्रणी है। इस यात्रा के दौरान हरित ऊर्जा, स्मार्ट ग्रिड, इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्ट शहर और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। जापानी तकनीक और निवेश के माध्यम से भारत में ऊर्जा उत्पादन की दक्षता बढ़ेगी, पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा और सतत विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकेंगे। यह पहल भारत को जलवायु परिवर्तन से निपटने और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व स्थापित करने में भी मदद करेगी। भारत के लिए यह अवसर है कि वह जापानी विशेषज्ञता और तकनीकी अनुभव का लाभ उठाकर अपने ऊर्जा ढाँचे को आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल बना सके।

सांस्कृतिक और जनसंपर्क के क्षेत्र में महत्वपूर्ण यात्रा

सांस्कृतिक और जनसंपर्क के क्षेत्र में भी यह यात्रा महत्वपूर्ण साबित होगी। भारत और जापान के बीच शिक्षा, पर्यटन, कला और संस्कृति के माध्यम से जनता के बीच संपर्क बढ़ेगा। मोदी की यात्रा द्विपक्षीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान को नई दिशा देगी। यह दीर्घकालिक दृष्टि से दोनों देशों के रिश्तों को मज़बूत करेगी। युवा पीढ़ी के बीच शिक्षा और तकनीकी आदान-प्रदान से भविष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।

भारत-जापान के राजनीतिक और रणनीतिक संबंध

इसके अलावा, यह यात्रा भारत-जापान के राजनीतिक और रणनीतिक संबंधों की उच्च प्राथमिकता को दर्शाती है। पिछले सात वर्षों में यह पहला द्विपक्षीय दौरा है, जो यह संकेत देता है कि भारत-जापान संबंध बहुपक्षीय मंचों से आगे बढ़कर वास्तविक और ठोस सहयोग की दिशा में केंद्रित हैं। यह दौरा दोनों देशों के नेताओं को व्यक्तिगत स्तर पर वार्ता करने, साझा दृष्टिकोण तय करने और भविष्य की रणनीतियों पर सहमति बनाने का अवसर देगा।

जापान यात्रा भारत के लिए बहुआयामी लाभ

प्रधानमंत्री मोदी की यह जापान यात्रा भारत के लिए बहुआयामी लाभ लेकर आएगी। आर्थिक दृष्टि से यह निवेश और व्यापार समझौतों के माध्यम से भारत की आर्थिक योजनाओं को मजबूत करेगी। सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से यह क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को मजबूती प्रदान करेगी। तकनीकी और हरित ऊर्जा सहयोग भारत को सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व स्थापित करने का अवसर देगा। सांस्कृतिक और जनसंपर्क पहल दोनों देशों के नागरिकों के बीच मित्रता और समझ को बढ़ावा देंगी।

यह यात्रा क्‍यों महत्‍वपूर्ण है

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत-जापान के बीच दो अग्रणी लोकतांत्रिक राष्ट्रों के साझा मूल्य, विश्वास और रणनीतिक दृष्टिकोण को पुष्ट करती है। दोनों देश एशिया के प्रमुख लोकतंत्र होने के नाते क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए जिम्मेदार हैं। उनके साझा दृष्टिकोण और सहयोग से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा, जो वैश्विक आर्थिक और सामरिक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

तकनीकी सहयोग, रक्षा, हरित ऊर्जा में भारत को लाभ मिलेगा

इस यात्रा से निवेश, तकनीकी सहयोग, रक्षा, हरित ऊर्जा, शिक्षा, संस्कृति और जनसंपर्क सभी क्षेत्रों में भारत को लाभ मिलेगा। जापान से निवेश भारत के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करेगा, नई नौकरियाँ पैदा करेगा और औद्योगिक विकास को गति देगा। तकनीकी और हरित ऊर्जा सहयोग से सतत विकास और ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा। रक्षा और सुरक्षा सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता और सामरिक सामंजस्य को सुनिश्चित करेगा। सांस्कृतिक और जनसंपर्क पहल जनता के बीच आपसी समझ बढ़ाएगी।

कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा भारत-जापान द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी। यह यात्रा आर्थिक, रणनीतिक, तकनीकी, सांस्कृतिक और सुरक्षा क्षेत्रों में बहुआयामी लाभ लेकर आएगी। जापानी निवेश और तकनीकी सहयोग भारत की विकास योजनाओं और हरित ऊर्जा पहल को सशक्त बनाएगा। सुरक्षा और सामरिक सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करेगा। सांस्कृतिक और जनसंपर्क पहल भारत-जापान मित्रता को और गहरा बनाएगी। इस प्रकार, यह यात्रा भारत के लिए रणनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से एक निर्णायक मील का पत्थर साबित होगी और भविष्य में दोनों देशों के बीच साझेदारी को और मजबूती देगी।

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