बिहार चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में दरार….! सहयोगी दलों ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री (Prime Minister), मुख्यमंत्रियों (Chief Ministers) और मंत्रियों (Ministers) के 30 दिन तक हिरासत में रहने के बाद उन्हें पद से हटाने का प्रावधान करने वाले तीन विवादित विधेयकों पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee- JPC) में शामिल होने के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन (India Alliance ) के सहयोगी दलों ने अब कांग्रेस पर ही दबाव बढ़ा दिया है। समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (UBT) जैसे सहयोगी दल जहां इस समिति का बहिष्कार कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस समिति में शामिल होना चाह रही है लेकिन साथी दलों के आह्वान से अब कांग्रेस नेतृत्व दबाव में आ गया है। कांग्रेस के साथी दलों ने कहा है कि इस बिल पर उनका विरोध बहुत मजबूत है और JPC कोई खास बदलाव नहीं करने वाला है।
बड़ी बात ये है कि बिहार विधानसभा चुनाव से ऐन पहले इंडिया गठबंधन के अंदर यह रस्साकशी उभरी है। कांग्रेस के लिए दूसरी बड़ी समस्या यह है कि बिहार में उसकी सबसे बड़ी सहयोगी राजद भी अब सपा-टीएमसी और शिवसेना की तरह JPC का बहिष्कार करने की योजना बना रही है। राजद का यह स्टैंड कांग्रेस के स्टैंड से ठीक उलट है। इससे कांग्रेस की मुश्किल और बढ़ती जा रही है। हालांकि, DMK ने कांग्रेस को राहत दी है और JPC में शामिल होने का फैसला किया है।
कांग्रेस की क्या प्लानिंग?
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि DMK के TKS एलंगोवन ने कहा कि उनकी पार्टी ने बिल के विरोध करने और उसे दर्ज कराने के लिए जेपीसी में शामिल होने का फैसला लिया है। वहीं कांग्रेस के एक सांसद ने कहा, “हमारे पास यह सोचने के उपयुक्त कारण हैं कि जेपीसी में शामिल होना कैसे उपयोगी हो सकता है।” उन्होंने कहा कि हम हर किसी को बीजेपी के खिलाफ एक साथ ले जाना चाहते हैं।
विपक्षी दल कह रहे JPC बेमतलब
बता दें कि इंडिया गठबंधन में शामिल रही आम आदमी पार्टी ने भी तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की ही तरह जेपीसी में अपने सदस्य नामित नहीं करने का फैसला किया है। हालांकि, वामपंथी दलों ने अपनी स्थिति णअभी स्ष्ट नहीं की है लेकिन माना जा रहा है कि वह इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ है और जेपीसी में अपना विरोध दर्ज कराना चाहते हैं। कई विपक्षी दलों ने कहा है कि इस मुद्दे पर जेपीसी बेमतलब है।
