व्यापार सुगमता बढ़ाएगा नया आयकर कानून, सभी के डिजिटल रिकॉर्ड नहीं खंगाले जाएंगे

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नई दिल्ली। नए आयकर अधिनियम (New Income Tax Act) के तहत आयकर विभाग (Income Tax Department) सिर्फ सर्वे, तलाशी और जब्ती से जुड़ी प्रक्रिया की स्थिति में ही किसी व्यक्ति और संस्था से जुड़े ई-मेल, सोशल मीडिया एकाउंट जैसे डिजिटल रिकॉर्ड की छानबीन की जाएगी। इसको लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी की जाएगी, जिसका पालन कार्रवाई के दौरान आयकर विभाग से जुड़े अधिकारियों को करना होगा।

सोमवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) (Central Board of Direct Taxes – CBDT) के सदस्य (विधि) आरएन पर्बत ने बताया कि नए अधिनियम का मकसद व्यापार सुगमता को बढ़ावा है, जिससे कि लोग आयकर से जुड़ी प्रक्रिया को आसानी से समझ सकें। इसलिए हर किसी के डिजिटल रिकॉर्ड को नहीं खंगाला जाएगा।

आसान भाषा में नया आयकर अधिनियम
उन्होंने कहा कि डिजिटल रिकॉर्ड कैसे रखा जाना है और किन परिस्थितियों में डिजिटल रिकॉर्ड को खंगाला जाएगा। इसको लेकर विस्तृत एसओपी भी जारी की जाएगी। नए कानून में पुराने जमाने की शब्दावली और जटिल व्याख्याओं से दूरी बनाई है। नया अधिनियम को इतनी सरल भाषा में तैयार किया गया है कि एक आम व्यक्ति भी आसानी से समझ सकता है।

पुराने कानून में कई सारे ऐसे विषय हैं जिनके प्रावधान कई सारे चैप्टर (अध्याय) में बिखरे हुए थे। जैसे ट्रस्ट और वेतन से संबंधी विषय से जुड़े प्रावधान बिखरे हुए थे, उन्हें एक जगह पर लेकर आए। ट्रस्ट के लिए गैर लाभकारी संगठन का शब्द इस्तेमाल किया और उन्हें फिर एक ही अध्याय में लेकर आए। शब्द और वाक्य काफी सरल इस्तेमाल किए गए।

नए कानून में टेबल का इस्तेमाल ज्यादा
पुराना कानून लिखित प्रारूप में काफी विस्तृत था लेकिन नए कानून में सारिणी (टेबल) का इस्तेमाल किया। पुराने कानून में 18 सारिणी थीं वह नंबर बढ़कर नए अधिनियम में 57 हो गई है। इसी तरह से पहले फॉर्मूला छह थे, जो नए अधिनियम में बढ़कर 46 हो गए हैं, जिससे लोग सारिणी देखकर आसानी से आयकर से जुड़े नियमों को समझ सकें।

पहले अध्याय 47 से घटकर 23 हो गए। इसी तरह से कानून में शब्दों में भी कमी आई। पुराने एक्ट में 5.12 लाख शब्द थे जो घटकर 2.67 लाख शब्द रह गए। उन्होंने बताया कि 13 फरवरी विधेयक संसद में पेश किया गया। उसी दिन एक विशेष समिति का गठन किया गया था, जिससे नियमों और प्रपत्रों को सरल बनाने और नए रूप में तैयार करने पर काम किया जा सके।

फॉर्म को स्मार्ट बनाया जा रहा
आयकर विभाग में इस्तेमाल होने वाले सभी फॉर्म मानकीकृत हो जाएंगे। इसके पीछे कोशिश है कि कारोबारी सुगमता की सुविधा प्रदान की जाए। टीडीसी, टीसीएस, छूट से जुड़े फॉर्म और इसके साथ ही एक वर्ष के दौरान बहुत सारे फॉर्म भरने होते हैं, वह सभी स्टैंर्डाइज्ड होंगे।

मौजूदा वक्त में आयकर विभाग के अंदर 200 फॉर्म हैं, जिनका विभिन्न दावों एवं विवरण भरने में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अगले वर्ष से इनकी संख्या घटकर करीब 93 रह जाएंगे। बोर्ड के सदस्य ने कहा कि नए अधिनियम से वेतनभोगियों और छोटे उद्यमियों को समझने और रिटर्न दाखिल करने में आसानी होगी।

जरूरत के हिसाब से और भी बदलाव होंगे
उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के लिए जो आवश्यकता रही है, उसी के हिसाब से आयकर अधिनियम में बदलाव होते रहे हैं। भरोसा प्रथम की नीति पर आयकर विभाग काम करता है। नौ करोड़ आयकर रिटर्न में करीब दो लाख रिटर्न स्क्रूटनी करते हैं। बाकी हम भरोसे पर चलते हैं, क्योंकि विभाग सरकार की भरोसा प्रथम की नीति का अमल करता है।

उन्होंने कहा कि हमने वर्ष 2014 के बाद छूट देनी बंद कर दी है, लेकिन उसके बदले कर स्लैब काफी बढ़ा दिया गया। कंपनियों के लिए आयकर दरों में कटौती की गई। व्यक्तिगत के लिए भी नई कर प्रणाली लाई गई। भविष्य में भी जरूरत के हिसाब से बदलाव होंगे। नए जो भी प्रावधान आएंगे वह भी सरल भाषा में आएंगे। उनको समझना भी उतना ही आसान होगा।

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