डिजिटल फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़े… एक साल में 36 हजार करोड़ से अधिक की लूट
नई दिल्ली। भारत (Indis) में डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसके साथ धोखाधड़ी के मामलों में भी तेजी से वृद्धि हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India ) के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में 36,014 करोड़ रुपये की डिजिटल फ्रॉड हुए, जबकि एक वर्ष पहले यह आंकड़ा 12,230 करोड़ रुपये था। अब ऑनलाइन पेमेंट (Online Payment) के दौरान होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए देश के दो बड़े बैंक नई एआई आधारित सिस्टम तैयार कर रहे हैं। इसके जरिए संदिग्ध लेनदेन की पहचान आसानी से की जा सकेगी और उसे तत्काल रोका जा सकेगा। एसबीआई (SBI) और बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) ने यह पहल शुरू की है, जिसमें अन्य सरकारी बैंक भी शामिल होंगे।
बताया जा रहा है कि इस प्रणाली को ‘इंडियन डिजिटल पेमेंट इंटलीजेंस कार्पोरेशन’ (Indian Digital Payment Intelligence Corporation) नाम दिया गया है। यह प्रणाली एआई और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन बैंकिंग जालसाजी को वास्तविक समय (रियल टाइम) में पकड़ेगी और उसे तुरंत रोक देगी। इस प्रणाली को तैयार करने में एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा ने शुरुआत में 10-10 करोड़ रुपये निवेश करने पर सहमति दी है। इस पहल में देश के अन्य बड़े 12 सरकारी बैंक भी शामिल होंगे। इसे कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में मंजूरी के लिए भेज दिया गया है।
आरबीआई भी बना रहा ऐसा प्लेटफॉर्म
कुछ दिन पहले आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने बताया था कि रिजर्व बैंक एक डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म बना रहे है, जो अलग-अलग स्रोतों जैसे म्यूल अकाउंट, टेलिकॉम डाटा, लोकेशन डाटा आदि को जोड़कर एआई सिस्टम को प्रशिक्षित करेगा, ताकि जालसाजी को तुरंत पकड़ा जा सके।
बैंक अभी इस तकनीक का कर रहे इस्तेमाल
वर्तमान में बैंक आरबीआई की म्यूलहंटर एआई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो म्यूल खाते का पता लगाती है। ये ऐसे खाते होते हैं, जिनका इस्तेमाल अपराधी पैसे घुमाने या धोखाधड़ी छिपाने के लिए करते हैं। इस प्रणाली को केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक पहले ही अपना चुके हैं।
