दिवाली हुई ग्लोबल: यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल, भारत में जश्न-PM मोदी बोले, दुनिया में बढ़ेगी दिवाली की लोकप्रियता
PM मोदी ने जताई खुशी
यूनेस्को के इस फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया में भारतीय समुदाय के लिए यह गर्व का क्षण है। उन्होंने एक्स पर लिखा-
“दीपावली हमारी संस्कृति और मूल्यों का जीवंत प्रतीक है। इसे वैश्विक विरासत सूची में शामिल किए जाने से इस उत्सव की लोकप्रियता और बढ़ेगी। यह त्योहार सत्य, प्रकाश और मानवता की विजय का संदेश देता है।”
भारत पहली बार कर रहा है समिति की मेजबानी
यह पहला अवसर है जब भारत यूनेस्को की ICH समिति की बैठक की मेजबानी कर रहा है। लाल किले पर आयोजित इस सत्र में हजारों वर्षों पुरानी भारतीय परंपराओं को विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया। दिवाली को सूची में शामिल किए जाने की घोषणा होते ही “वंदे मातरम” और “भारत माता की जय” के नारे गूंज उठे।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने इसे बताया ऐतिहासिक सम्मान
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा-
“यह सिर्फ त्योहार नहीं, भारतीय समाज की भावनात्मक धरोहर है। मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हारों से लेकर हाथों से सजावट तैयार करने वाले कारीगरों तक-लाखों लोग इस परंपरा से जुड़े हैं। यूनेस्को का टैग हमें इसे भविष्य के लिए सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी देता है।”
दिल्ली में मनाया जाएगा विशेष उत्सव
दिवाली को वैश्विक विरासत सूची में जगह मिलने के बाद दिल्ली सरकार ने शहर को रोशनी से सजाने, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने और विशेष दीप-प्रज्वलन समारोह की तैयारी की है। कई ऐतिहासिक इमारतों को शानदार लाइटिंग से सजाया गया है।
क्यों है दिवाली इतनी खास?
दिवाली भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में रहने वाले करोड़ों लोगों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है।
हिंदू, सिख, जैन और कई अन्य समुदाय इसे अपनी-अपनी धार्मिक परंपराओं के अनुसार मनाते हैं।
यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है।
उत्तर भारत में इसे भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है।
अमावस्या की रात घरों में दीये जलाना, रंगोली बनाना, लक्ष्मी पूजा, मिठाइयाँ बांटना और नई खरीदारी करना इस उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भारत की ये परंपराएँ पहले से सूची में शामिल हैं
दिवाली के साथ भारत की कुल 15 सांस्कृतिक परंपराएँ अब यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची का हिस्सा हैं। इनमें शामिल हैं-
रामलीला
योग
कुंभ मेला
कोलकाता की दुर्गा पूजा
गुजरात का गरबा
वैदिक मंत्रोच्चार परंपरा
यूनेस्को की सूची में दिवाली का शामिल होना सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की वैश्विक शक्ति का प्रमाण है। यह त्योहार अब दुनिया भर में भारतीय पहचान और सांस्कृतिक विविधता का और मजबूत प्रतीक बन जाएगा।
