बरेली में आग का तांडव: पानी न होने से जूझा अग्निशमन दल, डेलापीर मंडी जलकर हुई खाक
बरेली। डेलापीर फल मंडी गुरुवार देर रात को जल गई। इससे 28 दुकानें और करीब पांच करोड़ रुपये के फल जलकर राख हो गए। अग्निशमन दल के देरी से पहुंचने की वजह से आग फैलती चली गई। मंडी में आग बुझाने के इंतजाम नहीं थे। मंडी के ओवरहेड टैंक की मोटर डेढ़ साल से खराब है। मौके पर पहुंची दमकल टीम को पानी नहीं मिला तो दूसरे संसाधनों को तलाशना शुरू किया गया। अंदर पानी की आपूर्ति का कोई साधन न होने से दमकल स्टाफ बेबस हो गया और आग सब कुछ आने में समेटी धधकती रही।
बताया जा रहा है कि, रात करीब 11:30 बजे फल मंडी के ज्यादातर कारोबारी अपनी दुकानें बंदकर घर जा चुके थे। इसके बाद फल मंडी के शेड में आठ नंबर दुकान के पास लपटें उठने लगीं। दूसरी आढ़त पर मौजूद फल कारोबारी बबलू ने यह देखकर शोर मचाया तो कुछ व्यापारी व उनके कर्मचारी आ गए। इन लोगों ने आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहे।
कारोबारियों ने मंडी गेट पर मौजूद पुलिसकर्मियों को सूचना दी। उसी वक्त अग्निशमन विभाग को सूचना दे दी गई, लेकिन टीम 45 मिनट बाद मौके पर पहुंची। पांच फायर ब्रिगेड वाहन आग बुझाने में जुट गए। मंडी में पानी न होने से टीम को बाहर से पानी लाना पड़ा। डेलापीर चौराहे के पास हाइड्रेंट तो मिला, लेकिन पानी खत्म होने के बाद हर बार टीम को बाहर की दौड़ लगानी पड़ रही थी। रात दो बजे आग पर काबू पाया जा सका। करीब तीन घंटे तक दुकानों से लपटें उठती रहीं। आग से बर्बादी देख कई कारोबारी रो पड़े।
एफएसओ संजीव यादव ने बताया कि डेलापीर चौराहे के पास मिला हाईड्रेंट काम तो आया, पर गाड़ियों को बार-बार बाहर का चक्कर लगाना पड़ा। इस वजह से काफी समय बर्बाद हुआ। ऊपरी मंजिल पर आग बुझाने के लिए टीम ने पाइप के साथ ही विशेष बाइक व छोटी गाड़ी की मदद ली। इस दौरान जब ऊपर की आग बुझनी शुरू होती थी तो नीचे भड़क जाती थी।
आग बुझाने के दौरान अग्निशमन कर्मियों को कई बार जान जोखिम में डालनी पड़ी। दरअसल, बार-बार हो रहे धमाकों के साथ ही आग भड़कती जा रही थी। पता लगा कि कभी मजदूरों के छोटे एलपीजी सिलेंडर फट रहे थे तो कभी दुकानों के लेंटर आग से चटक रहे थे। जब-जब आवाज होती थी, वहां मौजूद दुकानदार व अन्य लोग दहल जाते थे।