भारत में बढ़ रहा कर्ज का बोझ, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के चौकाने वाले है आकंडें, जानें
नई दिल्ली । भारत में कई दार्शनिक हुए हैं, उनमें से एक दार्शनिक चार्वाक जिनकी दृष्टि और दर्शन यह कहता है कि ऋण लेकर घी पीना है तो घी पियो मरने के बाद किसको पता है कि स्वर्ग मिलेगा या नर्क और इन दिनों भारत में यही चार्वाक दर्शन हकीकत में जीवन व्यवहार में सबसे अधिक उपयोग किया जाता हुआ दिख रहा है, क्योंकि भारत में चाहे शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, लगातार उधार लेने वाले और कर्ज में डूबने वालों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है । एक रिपोर्ट के मुताबिक कर्ज में फंसे हुए लोगों में सबसे अधिक शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र के लोग हैं। देश में हर एक लाख लोगों पर 18 हजार से ज्यादा लोग कर्ज में डूबे हुए हैं।
ग्रामीण इलाकों में कर्जदारी ज्यादा होना सामने आया
यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के मध्यम से सामने आई है। यह रिपोर्ट ऋण के संबंध में जानकारी प्रदान करती है। इसके मुताबिक लोगों की उधारी काफी बढ़ गई है, अभी तक ऐसा माना जाता रहा है कि शहरी इलाकों में लोग ईएमआई पर सामान खरीदते हैं, लेकिन यहां ग्रामीण इलाकों में भी लोग बड़ी संख्या में ईएमआई पर सामान खरीदते नजर आ रहे हैं, इसके चलते एवम अन्य कारणों से ग्रामीण इलाकों में कर्जदारी ज्यादा होना सामने आया है। केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के व्यापक वार्षिक मॉड्यूलर सर्वेक्षण के अनुसार, प्रति एक लाख लोगों पर 18 हजार 322 लोग कर्ज में हैं।
जबकि ग्रामीण इलाकों में यह अनुपात 18.7 फीसदी
शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात 17.44 प्रतिशत है। जबकि ग्रामीण इलाकों में यह अनुपात 18.7 फीसदी है। यानी ईएमआई पर सामान खरीदने वालों की संख्या भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्र से ज्यादा है। ग्रामीण इलाकों में कर्ज लेने वालों का अनुपात छह फीसदी बढ़ा है, जबकि शहरी इलाकों में यही अनुपात 2.8 फीसदी है।
शहरी क्षेत्रों में घरेलू खर्च में 146 प्रतिशत की वृद्धि
रिपोर्ट यह भी कहती है कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में परिवारों का मासिक खर्च भी काफी बढ़ा हुआ है। ऐसा देखने में आया है कि इस बढ़ती लागत के कारण ऋणग्रस्तता का स्तर भी देश में बढ़ गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू खर्च में 164 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में घरेलू खर्च में 146 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में किसान भारी कर्ज में डूबे हुए
इस रिपोर्ट से आज यह भी सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसान भारी कर्ज में डूबे हुए हैं। इसका कारण बढ़ती उत्पादन लागत और घटता उत्पादन है। किसानों के खेत का उचित बाजार मूल्य न मिलना भी कर्ज बाजार का कारण है। जिसमें कि ग्रामीण इलाकों में महिलाएं ज्यादा कर्जदार हैं, उसकी तुलना में शहरी इलाकों में महिलाएं कम कर्ज लेती हैं। ग्रामीण इलाकों में एक लाख महिलाओं में से 13 फीसदी महिलाएं कर्ज लेती हैं, जबकि शहरी इलाकों में एक लाख में से सिर्फ 10 फीसदी महिलाएं ही कर्ज लेती हैं इन आँकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा ऋण लेने की दर लगातार समय के साथ बढ़ रही है।