जयशंकर ने पहलगाम हमले पर पाकिस्तान को खूब सुनाया.. UN के रवैए पर उठाए सवाल
नई दिल्ली। भारत (India) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) (United Nations Security Council – UNSC) में सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि वैश्विक निकाय का कामकाज अवरुद्ध हो गया है। भारत ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकवादी संगठन (Terrorist organization) को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बचाने संबंधी पाकिस्तान (Pakistan) के प्रयासों का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की। विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने वैश्विक रणनीति के नाम पर आतंकवाद के पीड़ितों और गुनाहगारों की तुलना करने वालों की भी आलोचना की। उन्होंने यह टिप्पणी भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौलने की प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हुए की, खासकर हाल में हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में।
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सब कुछ ठीक नहीं है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में होने वाली बहसें अब बहुत ज्यादा बंटी हुई हैं और उसका कामकाज साफ तौर पर रुका हुआ दिख रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी सार्थक सुधार को उसकी अपनी प्रक्रिया के जरिये ही रोका जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को बनाए रखना तथा इसके पुनर्निर्माण की मांग करना स्पष्ट रूप से विश्व के समक्ष एक बड़ी चुनौती है।
बिना नाम लिए पाक को भी खूब सुनाया
जयशंकर ने कहा, ‘‘आतंकवाद के प्रति संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया से ज्यादा, कुछ उदाहरण संयुक्त राष्ट्र के सामने मौजूद चुनौतियों को दर्शाते हैं। जब सुरक्षा परिषद का एक वर्तमान सदस्य उसी संगठन का खुलेआम बचाव करता है जिसने पहलगाम जैसे बर्बर आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली है, तो इससे बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता पर क्या असर पड़ता है?’’
जयशंकर ने हालांकि सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी टिप्पणी से यह स्पष्ट था कि वह उसी देश का उल्लेख कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद के पीड़ितों और अपराधियों को एक ही श्रेणी में रखना दुनिया को और अधिक निंदनीय बना देता है। जब खुद को आतंकवादी कहने वालों को प्रतिबंधों से बचाया जाता है, तो इसमें शामिल लोगों की ईमानदारी पर सवाल उठता है।’’
पाकिस्तान वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य है। जुलाई में वह इस शीर्ष वैश्विक संस्था का अध्यक्ष था। परिषद में 15 सदस्य हैं, जिनमें पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूसी संघ, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दस अस्थायी सदस्य राष्ट्रों को दो वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता प्रत्येक सदस्य द्वारा बारी-बारी से एक महीने के लिए की जाती है।
TRF ने ली थी पहलगाम हमले की जिम्मेदारी
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकवादी समूह से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने पहलगाम आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली थी। जुलाई में यूएनएससी की रिपोर्ट में पहलगाम हमले में टीआरएफ की भूमिका का उल्लेख किया गया था। अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान ने पहलगाम हमले की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस वक्तव्य में टीआरएफ का उल्लेख हटाने का प्रयास किया था। अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ज्वलंत मुद्दों का समाधान करने में विफल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना केवल दिखावटी बात हो गई है, तो विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रगति की स्थिति और भी गंभीर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) एजेंडा 2030 की धीमी गति ‘ग्लोबल साउथ’ के संकट को मापने का एक महत्वपूर्ण पैमाना है। इसके अलावा भी कई अन्य पैमाने हैं, चाहे वह व्यापार उपाय हों, आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता हो या राजनीतिक वर्चस्व हो।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘फिर भी, ऐसी उल्लेखनीय वर्षगांठ पर, हम उम्मीद नहीं छोड़ सकते। चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्धता मजबूत बनी रहनी चाहिए। चाहे इसमें कितनी भी खामियां क्यों न हों, संकट के इस समय में संयुक्त राष्ट्र का समर्थन किया जाना चाहिए।’’ एसडीजी सभी के लिए बेहतर और अधिक टिकाऊ भविष्य प्राप्त करने के लिए निर्धारित लक्ष्यों का एक समूह है।
