मेजर राधिका सेन, जिन्हें यूएन से आज गुरुवार को मिलेगा सैन्य पुरस्कार
जिनेवा। कांगो में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) मिशन में सेवा दे चुकी भारतीय महिला शांति रक्षक मेजर राधिका सेन को सैन्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस इस पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। इस पुस्कार को लेकर राधिका सेन ने कहा कि बहुपक्षीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना उनके लिए सम्मान की बात है। 30 मई को अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दिवस के मौके पर मेजर राधिका सेन को ‘2023 यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड’ दिया जाएगा।
राधिका सेन ने एक साक्षात्कार में इस पुरस्कार पर कहा, यह वास्तव में मेरे लिए सम्मान की बात है। मुझे न केवल अपनी टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, बल्कि मेरे सभी सहयोगियों, शांति सैनिकों और विशेष रूप से अपने देश भारत का प्रतिनिधित्व करने का भी मौका मिला। उन्होंने आगे कहा, एक अंतरराष्ट्रीय फोरम में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना एक ऐसा एहसास है जिसे बयां नहीं किया जा सकता।
मेजर राधिका सेन ने भारतीय मिशन में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिका कंबोज से भी मुलाकात की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रुचिका कंबोज ने कहा, मेजर राधिका सेन को 30 मई को 2023 यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। उनका समर्पण और उनकी बहादुरी एक बेहतर दुनिया के निर्माण में महिला शांतिरक्षकों की अमूल्य भूमिका को उजागर करती है। मेजर सेन भारतीय त्वरित तैनाती बटालियन की कमांडर के तौर पर मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक कांगो गणराज्य के पूर्व में तैनात थीं। वह मूल रूप से हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैं। उनका जन्म 1993 में हुआ था और वह आठ साल पहले भारतीय सेना में भर्ती हुई थीं। मेजर राधिका सेन ने बायोटेक इंजीनियर में स्नातक किया, इसके बाद ही उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला किया था।
राधिका सेन ने बताया कि उनका एंगेजमेंट प्लाटूर होने का मुख्य उद्देश्य लोगों को कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करना था। उन्होंने कहा, किसी भी संघर्ष वाले इलाके में महिलाएं एवं लड़कियां ही असमान रूप से प्रभावित होती हैं।” मेजर सेन ने आगे कहा कि उनका और उनकी टीम का प्रयास उन महिलाओं और लड़कियों तक पहुंचना था। उनसे उनकी परेशानियों को लेकर बात करना और उन परेशानियों से उन्हें बाहर निकालना था।