चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी भारत के लिए गंभीर चुनौती, अपनों की जान की सौदेबाजी, कई सौगातें, पाक का रहनुमा चीन

नई दिल्‍ली, चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी भारत के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकती है। पाकिस्तान जो कभी अमेरिका पर निर्भर था, अब पूरी तरह चीन के भरोसे अपनी सैन्य जरूरतें पूरी कर रहा है।

अपनों की जान की सौदेबाजी, कई सौगातें, पाक का रहनुमा चीन; भारत के लिए कितना खतरा?

चीन और पाकिस्तान का सैन्य गठबंधन लगातार मजबूत होता जा रहा है। चीन ने हाल ही में पाकिस्तान को दूसरी हैंगोर-क्लास पनडुब्बी सौंपी है। यह डील आठ पनडुब्बियों की उस 5 अरब डॉलर की परियोजना का हिस्सा है, जिससे पाकिस्तान की नौसेना की ताकत को बढ़ावा मिलेगा। यह सैन्य सौदा केवल पनडुब्बियों तक सीमित नहीं है, बल्कि चीन पाकिस्तान को आधुनिक युद्धपोत, ड्रोन और लड़ाकू विमानों की भी आपूर्ति कर रहा है।

भारत के लिए कितना खतरनाक है यह गठजोड़?

 

चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी भारत के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकती है। पाकिस्तान जो कभी अमेरिका पर निर्भर था, अब पूरी तरह चीन के भरोसे अपनी सैन्य जरूरतें पूरी कर रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच पाकिस्तान के कुल आयातित हथियारों में से 81% चीन से आए, जो इससे पहले की अवधि में 74% था। चीन की यह रणनीति सिर्फ पाकिस्तान को सैन्य ताकत देना ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को भी प्रभावित करने की कोशिश है।

अपनों की लाशों पर दोस्ती की रोटियां सेंक रहा चीन

 

चीन पाकिस्तान को हथियार और आर्थिक मदद तो देता जा रहा है, लेकिन इसके नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा गंभीर होता जा रहा है। चीन के नागरिकों को पाकिस्तान में लगातार आतंकी हमलों का सामना करना पड़ रहा है। जिसकी कुछ मिसालें हाल के सालों में देखनो मिलीं। नवंबर 2018 में कराची स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास पर आतंकी हमला, जिसमें चार लोगों की जान गई। साल 2021 में दासू में ही आत्मघाती हमले में 9 चीनी इंजीनियर मारे गए। अप्रैल 2022 में कराची यूनिवर्सिटी के कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट के पास आत्मघाती हमला, जिसमें तीन चीनी शिक्षक और एक पाकिस्तानी ड्राइवर मारे गए।

वहीं बीते साल मार्च में दासू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के पास आत्मघाती हमला, जिसमें पांच चीनी इंजीनियर और एक पाकिस्तानी मारे गए। मार्च 2025 में खैबर पख्तूनख्वा में एक आत्मघाती हमले में पांच चीनी नागरिक और एक पाकिस्तानी ड्राइवर की मौत। इन घटनाओं के बावजूद, चीन ने पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते कमजोर नहीं किए। सवाल यह उठता है कि क्या चीन को अपने नागरिकों की सुरक्षा की कोई परवाह है, या फिर वह सिर्फ सामरिक और आर्थिक फायदे के लिए पाकिस्तान के साथ दोस्ती निभा रहा है?

 

क्यों पूरी तरह चीन पर निर्भर पाकिस्तान

 

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सैन्य संबंध पहले की तुलना में ठंडे पड़ चुके हैं। अमेरिका की ओर से दी जाने वाली सैन्य मदद बंद होने के बाद पाकिस्तान पूरी तरह चीन पर निर्भर हो गया है। 2018 में डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर आतंकवाद के मुद्दे पर झूठ और धोखे का आरोप लगाया था। हाल ही में इस्लामिक स्टेट-खुरासान के एक आतंकी को पकड़ने में पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद की, जिससे दोनों देशों के रिश्ते सुधारने की उम्मीद जगी, लेकिन ऐसा मानना है कि भारत के साथ अमेरिका की गहराती दोस्ती और पाकिस्तान का चीन पर निर्भर रहना अमेरिका-पाक रिश्तों को फिर से मजबूत होने नहीं देगा।

चीन से से फाइटर जेट खरीदने की योजना

 

पाकिस्तान अब चीन से 40 जे-35ए फाइटर जेट खरीदने की योजना बना रहा है, जो स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस हैं। इससे पाकिस्तान की वायु सेना को एक नई ताकत मिलेगी। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या पाकिस्तान इस डील को पूरा करने के लिए वित्तीय रूप से तैयार है? पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही संकट में है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मदद ले रहा है। ऐसे में यह सौदा पाकिस्तान के लिए एक भारी वित्तीय बोझ साबित हो सकता है।

भारत की कितनी है तैयारी

 

पाकिस्तान के बढ़ते सैन्य सहयोग के बीच भारत भी अपनी सैन्य ताकत को मजबूत कर रहा है। भारत ने फ्रांस से राफेल जेट खरीदे हैं और अमेरिका के साथ उन्नत लड़ाकू विमान इंजन विकसित कर रहा है। साथ ही, भारत इजरायल और रूस के साथ भी सैन्य संबंध मजबूत कर रहा है। अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे साफ है कि वॉशिंगटन इस चीन-पाक गठजोड़ को लेकर सतर्क है। भारत भी इस बढ़ते सैन्य गठबंधन पर कड़ी नजर रख रहा है और अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क है।

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