बहुचर्चित वक्फ संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों में पास, कानून के लिए अब आगे कैसा है मामला?

नई दिल्ली, बहुचर्चित वक्फ संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही यह एक नया कानून बन जाएगा। हालांकि इस मामले में अभी कई नियम और कानून ऐसे हैं जिन पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।
संसद में बहस के बाद मिली मंजूरी, वक्फ कानून के लिए अब आगे कैसा है मामला?
लोकसभा और राज्य सभा में जबरदस्त बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया है। अब राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। हालांकि कांग्रेस पार्टी और कई ओवैसी जैसे नेताओं ने इस पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है और कई लोगों ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से मिलकर इस पर हस्ताक्षर न करने की गुहार लगाने का फैसला किया है। अब सवाल यही है कि इस मामले को लेकर जिस पर कल 8 राज्यों में छोटे-बड़े प्रदर्शन हुए उसका क्या होगा।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट और इस मामले पर संसदीय संयुक्त समिति के सामने प्रेजेंटेशन देने वाले फुजैल अहमद अय्यूबी ने कहा कि एक बार राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाने के बाद इसके कार्यान्वयन की प्रभावी तिथि को बताते हुए के अधिसूचना जारी की जाएगी और इस तारीख से यह देश का कानून बन जाएगा।
अय्यूबी ने बताया कि एक बार कानून बन जाने के बाद धीरे-धीरे इसमें बदलाव आएगा। कई प्रावधान जैसे मूल अधिनियम के तहत जिन धाराओं को निरस्त कर दिया गया है उनमें बदलाव करके लागू करना आसान होगा। उदाहरण के तौर पर पहले वक्फ संपत्ति का निर्धारण करने का अधिकार पहले वक्फ बोर्ड के पास था लेकिन अब इसे हटा दिया गया है। इस प्रावधान को तुरंत लागू किया जाएगा… इसके अलावा बोर्ड द्वारा किसी जमीन को अपना बताने पर कलेक्टर द्वारा उसकी जांच करने की प्रक्रिया को भी तुरंत ही लागू कर दिया जाएगा। हालांकि अभी नियमों में स्पष्टता की आवश्यकता होगी… ऐसे में इसमें अभी और समय लगेगा।
अय्यूबी ने बताया कि इसके अलावा सरकारी भूमि से जुड़े जो प्रावधान हैं उनमें भी अभी प्रशासन को नियमों में स्पष्टता दिखानी होगी। सरकारी संपत्तियों के लिए एक नामित अधिकारी की आवश्यकता होगी… अब यह अधिकारी कौन होगा..उसका कार्यकाल क्या होगा और उसका अधिकार क्षेत्र क्या होगा इसके बारे में जानकारी नियमों में दी जाएगी।
इसके अलावा इस पूरी प्रक्रिया को भी अधिक स्पष्ट करने की जरूरत है कि जब बोर्ड किसी जमीन पर अधिकार जता देगा तो कलेक्टर किस प्रक्रिया के तहत इसकी जांच करेगा? इसके बारे में भी अभी विस्तृत दिशा-निर्देश की आवश्यकता होगी।
अब राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर करने के बाद इन नियमों का मौसदा तैयार करने की जिम्मेदारी अल्पसंख्यक मंत्रालय की है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि हमें उम्मीद है कि इन नियमों को सार्वजनिक करने में हमें ज्यादा समय नहीं लगेगा क्योंकि मंत्रालय विधेयक और उसके जरिए किए जा रहे संशोधनों के बारे में स्पष्ट है।
संवैधानिक रूप से नियमों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद उन्हें 6 महीनों के भीतर प्रकाशित किया जाना चाहिए हालांकि कुछ मामलों में यह समय सीमा बढ़ाई भी जा सकती है।
अब इस मामले पर बनाए गए नियमों को क्या सार्वजनिक तौर पर रखा जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार को ऐसा करना अनिवार्य नहीं है। विशेष रूप से ऐसे मुद्दे पर जो पहले ही जेपीसी के पास जा चुके हैं। हालांकि अगर सरकार चाहे तो इसे परामर्श के लिए रखा जाएगा और जवाब एकत्र करके संसद के पास भेजे जाएंगे। एक बार नियम तैयार हो जाएंगे तो वह प्रभावी हो जाएंगे
संसद के दोनों पटलों पर इन्हें रखा जा सकता है। सदस्यों को इन नियमों पर संशोधन का सुक्षाव देने का अधिकार है। अगर सरकार संशोधन को स्वीकार कर लेती है तो नियम संशोधित तरीके से प्रभावी हो जाएगी।