बेंगलुरु इंजीनियर अतुल सुसाइड केस में नया खुलासा, इन फाउंडर से भी मांगी थी मदद, लगातार बज रहे फोन

नई दिल्ली। बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस के बाद कई बातें सामने आ रही हैं। बताया जाता है कि अतुल सुभाष ने सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन (एसआईएफएफ) से मदद मांगी थी।  अनिल मूर्ति ने कहाकि अतुल सुभाष का केस एक वेक-अप कॉल है। उन्होंने कानून में सुधार की बातें हमेशा होती हैं, लेकिन इसको लेकर कोई कदम उठता दिख नहीं रहा है। न्यूज 18 के मुताबिक अनिल ने अतुल सुसाइड केस में जांच के लिए संसदीय कमेटी बनाने की मांग की है। उन्होंने कहाकि अतुल जैसे मामलों में उलझे लोग एसआईएफएफ की हेल्पलाइन पर लगातार फोन कर रहे हैं। अनिल के मुताबिक इंजीनियर अतुल की कहानी यूनीक नहीं है। हम पिछले 20 साल से ऐसी कई कहानियां देख रहे हैं। उन्होंने कहाकि न्यायिक व्यवस्था को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि पुरुष शादियों से दूर भाग रहे हैं। समाज से दूर भाग रहे हैं। अतुल का केस यह दिखाता है कि सिस्टम कैसे पुरुषों को समझने में नाकाम साबित हो रहा है।

पुरुषों को उनके अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ रहा है।

यह फाउंडेशन पुरुषों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाला एक ग्रुप है। यहां के सह-संस्थापक अनिल मूर्ति के मुताबिक अतुल के सुसाइड के बाद उनके यहां लगातार फोन बज रहे हैं। अनिल का कहना है कि देशभर में अतुल सुभाष जैसे कई मामले हैं। उन्होंने बताया कि उनका पिछले 20 साल से पुरुषों को उनके अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ रहा है।

इसमें सिस्टम गुजारा भत्ता को एक महिला के एकमात्र अधिकार के रूप में मानता था।

अनिल मूर्ति ने एसआईएफएफ के एक अन्य सदस्य का किस्सा भी साझा किया। इस मामले में भी तलाक के केस में करोड़ों का गुजारा भत्ता मांगा जा रहा है। मूर्ति ने बताया कि वह अतुल के दोस्त थे। वह एक बढ़िया पैकेज वाली नौकरी कर रहे थे, लेकिन यह चली गई। उनके पिता को पर्किंसन हो गया। वह एक टैलेंटेड इंसान थे। मूर्ति ने बतााय कि अतुल के दोस्तों का कहना है कि यह पैसे के बारे में नहीं था। यह पैसे देने के कभी न खत्म होने वाले चक्र में फंसने की बात थी। इसमें सिस्टम गुजारा भत्ता को एक महिला के एकमात्र अधिकार के रूप में मानता था।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका
बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी। इसमें घरेलू हिंसा के शिकार विवाहित पुरुषों द्वारा आत्महत्या से निपटने के लिए दिशानिर्देश देने की बात कही गई थी। साथ ही देश में पुरुषों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि 2021 में लगभग 33.2 प्रतिशत पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं के कारण और 4.8 प्रतिशत ने विवाह संबंधी मुद्दों के कारण आत्महत्या की है। यह याचिका एडवोकेट महेश कुमार तिवारी द्वारा दाखिल की गई थी।

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