दशकों बाद भीषण बाढ़ की चपेट में Punjab…, राज्य के सभी 23 जिले बाढ़ प्रभावित घोषित
चंडीगढ़। पंजाब (Punjab) में पिछले कई दशकों की सबसे भीषण बाढ़ (Worst Flood) ने पूरे राज्य को अपनी चपेट में ले लिया है। राज्य सरकार ने मंगलवार को सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित (All 23 Districts Declared Flood affected) कर दिया है। इस प्राकृतिक आपदा ने अब तक 30 लोगों की जान ले ली है और 3.5 लाख से अधिक लोगों को प्रभावित किया है। सूबे की प्रमुख नदियों – सतलुज, ब्यास और रवि के उफान पर होने और बांधों के पूरी तरह भर जाने से स्थिति और गंभीर हो गई है। बांधों के जलाशय लबालब भरे हुए हैं, जबकि नदियां खतरे के निशान के पास बह रही हैं, जिसके कारण कई जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
इस बीच, राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया (Governor Gulab Chand Kataria) और मुख्यमंत्री भगवंत मान (Chief Minister Bhagwant Mann) ने अलग-अलग प्रभावित इलाकों का दौरा किया। मान ने नाव से फिरोजपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया; कटारिया ने फिरोजपुर और तरनतारन के गंभीर रूप से प्रभावित इलाकों का दौरा किया। प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान के लिए लोगों को दिए जाने वाले “अल्प मुआवजे” पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, मान ने केंद्र के राहत मानदंडों में वृद्धि की मांग की। उन्होंने केंद्र से पंजाब के 60,000 करोड़ रुपये के “लंबित” फंड को जारी करने की फिर से मांग की और कहा कि वह क्षेत्र में आई बाढ़ के मद्देनजर राज्य के “अधिकारों” की मांग कर रहे हैं, न कि “भीख” मांग रहे हैं।
बाढ़ का व्यापक प्रभाव
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पंजाब के 1,400 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं, जिनमें गुरदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर, कपूरथला, फिरोजपुर, तरनतारन और फाजिल्का सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं। गुरदासपुर में 324 गांव, अमृतसर में 135 और होशियारपुर में 119 गांव बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। बाढ़ ने 1,48,590 हेक्टेयर कृषि भूमि पर खड़ी फसलों को नष्ट कर दिया है, जिससे राज्य की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। विशेष रूप से धान की फसल, जो इस मौसम में महत्वपूर्ण है, को भारी क्षति पहुंची है।
फाजिल्का में 41,099 एकड़, कपूरथला में 28,714 एकड़, फिरोजपुर में 26,703 एकड़ और तरनतारन में 24,532 एकड़ कृषि भूमि प्रभावित हुई है। गुरदासपुर में भी लगभग 30,000 एकड़ भूमि के नुकसान की आशंका है, हालांकि वहां अभी अंतिम आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह मुंडियन ने कहा कि बाढ़ का प्रकोप पहले के 12 जिलों की तुलना में अब सभी 23 जिलों में फैल गया है। उन्होंने आगे कहा कि 1,400 गांवों को प्रभावित घोषित किया गया है, जिससे अब तक 3,54,626 लोग प्रभावित हुए हैं। अब तक लगभग 20,000 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकाला जा चुका है।
राहत और बचाव कार्य जोरों पर
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहे हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की 23 टीमें, सेना, वायुसेना, नौसेना और सीमा सुरक्षा बल (BSF) की टीमें प्रभावित जिलों में सक्रिय हैं। इसके अलावा, 114 नावें और एक राज्य हेलीकॉप्टर बचाव कार्यों में लगे हुए हैं। अब तक 15,688 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जिनमें गुरदासपुर से 5,549, फिरोजपुर से 3,321 और फाजिल्का से 2,049 लोग शामिल हैं।
राज्य में 174 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 74 सक्रिय हैं। इन शिविरों में 4,729 लोग शरण लिए हुए हैं। फिरोजपुर में सबसे अधिक 3,450 लोग राहत शिविरों में हैं। स्वास्थ्य मंत्री बलवीर सिंह ने बताया कि 818 मेडिकल टीमें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात की गई हैं ताकि किसी भी व्यक्ति को चिकित्सा सुविधा से वंचित न रहना पड़े। पशुओं के लिए भी चारा और पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
बांधों और नदियों की स्थिति
भाखड़ा, पोंग और रणजीत सागर बांध पूरी तरह से भरे हुए हैं। पोंग बांध का जलस्तर 1,391 फीट तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान 1,390 फीट से ऊपर है। इससे ब्यास नदी में 1.09 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है। रवि नदी में 14.11 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह दर्ज किया गया, जो 1988 की बाढ़ के दौरान 11.20 लाख क्यूसेक से भी अधिक है।
जलवायु परिवर्तन और मानवीय गलतियों का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और मानवीय गलतियों, जैसे नदियों की सफाई न करना, बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण और कमजोर बांधों ने इस आपदा को और गंभीर बनाया है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के कारण नदियों में पानी का स्तर बढ़ा, जिसने पंजाब में तबाही मचाई। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले दो दिनों तक और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है। सरकार ने विशेष “गिरदावरी” (फसल नुकसान आकलन) का आदेश दिया है, जो बाढ़ का पानी कम होने के बाद शुरू होगी। बाढ़ से प्रभावित किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, खासकर धान की फसल के मौसम में।
