राहुल गांधी ने विदेशियों से मिलने की विपक्ष की परंपरा पर उठाया सवाल, कंगना रनौत ने जताई आपत्ति
राहुल गांधी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि विपक्ष के नेता का दृष्टिकोण अलग होता है और विदेशी गणमान्य अतिथि से मिलने का अधिकार उन्हें होना चाहिए। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार और विदेश मंत्रालय इस परंपरा का पालन नहीं करते हैं। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि जब वे विदेश यात्रा पर जाते हैं तो उन्हें भी बताया जाता है कि विदेशी नेताओं से नहीं मिलना है, जो नीति के अनुसार होता है।
रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि आम तौर पर यह परंपरा रही है कि विदेश से आने वाले मेहमान विपक्ष के नेता से भी मिलते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह के समय यही नियम रहा, लेकिन अब इस परंपरा का पालन नहीं किया जाता। उनका यह भी कहना था कि एलओपी (नेता विपक्ष) एक अलग दृष्टिकोण पेश करते हैं और वह भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। केवल सरकार ही देश का प्रतिनिधित्व नहीं करती।
राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद बॉलीवुड और राजनीति जगत की हस्ती कंगना रनौत ने प्रतिक्रिया दी। कंगना ने कहा कि राहुल गांधी की भावनाएं देश के प्रति संदिग्ध हैं। उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी अटल बिहारी वाजपेयी के समान बनने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्हें भाजपा में शामिल होना चाहिए। कंगना ने ट्वीट या बयान में कहा कि भगवान ने उन्हें जन्म दिया है, जीवन दिया है, वे भी अटल जी बन सकते हैं, इसके लिए उन्हें भाजपा ज्वाइन कर लेना चाहिए।
कंगना ने कहा, “सरकार के अपने फैसले होते हैं। अटल जी नेशनल असेट थे, पूरे देश को उन पर गर्व था। लेकिन राहुल गांधी की देश के प्रति भावनाएं संदिग्ध हैं। चाहे दंगे फैलाने की योजना हो या देश को टुकड़े करने की साजिश, उनकी नीयत पर संदेह है। अगर वह खुद को अटल जी से तुलना कर रहे हैं तो मैं यही सुझाव दूंगी कि आप भाजपा में शामिल हो जाइए।”
राहुल गांधी की टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष का अधिकार है कि वह सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और जनता के सामने अपनी राय रखे। थरूर ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष को अपनी भूमिका निभाने का पूरा अधिकार है और विदेशी नेताओं से मिलने का उनका हक संविधान और परंपरा दोनों के तहत सुरक्षित है।
विशेषज्ञों का कहना है कि राहुल गांधी का यह आरोप देश की राजनीतिक परंपरा और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता को लेकर महत्वपूर्ण सवाल उठाता है। विपक्ष का यह अधिकार है कि वह विदेशी प्रतिनिधियों से मिले और अपने दृष्टिकोण को साझा करे। राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि विदेश नीति केवल सरकार तक सीमित नहीं हो सकती, विपक्ष का दृष्टिकोण भी अंतरराष्ट्रीय संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
राहुल गांधी के बयान और कंगना रनौत की प्रतिक्रिया के बाद इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। विपक्ष का मानना है कि लोकतंत्र में अलग-अलग दृष्टिकोण रखने वाले नेताओं को भी सम्मान दिया जाना चाहिए और परंपराओं का पालन होना चाहिए। वहीं, भाजपा समर्थक इसे केवल राजनीति के हिस्से के रूप में देख रहे हैं।
इस घटना ने एक बार फिर देश में राजनीतिक संवाद और विपक्ष की भूमिका को लेकर चर्चा शुरू कर दी है। राहुल गांधी का आरोप और कंगना रनौत की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि राजनीतिक बयानबाजी और आलोचना आज भी भारतीय राजनीति में उतनी ही तीव्र है जितनी पहले रही है।
