जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग में तेजी से बढ़ रही भर्ती, मसूद अजहर ने दिए कई खुलासे

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नई दिल्ली। बीते मई में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारी नुकसान झेलने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने हाल ही में संगठन की महिला विंग के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। मसूद अजहर ने दावा किया है कि संगठन की महिला विंग में अब तक लगभग पांच हजार महिलाएं शामिल हो चुकी हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इन महिलाओं को कथित तौर पर आत्मघाती हमलों के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

पिछले साल अक्टूबर में मसूद अजहर ने जैश की महिला ब्रिगेड की घोषणा की थी, जिसे जमात-उल-मोमिनात नाम दिया गया। इस महिला ब्रिगेड की जिम्मेदारी मसूद अजहर की बहन सईदा संभाल रही हैं। मसूद अजहर ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि जमात-उल-मोमिनात का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और संगठन की रणनीति में इसका अहम स्थान है।

मसूद अजहर ने बताया कि महिला विंग की गतिविधियों को और व्यवस्थित करने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर के विभिन्न जिलों में इसका विस्तार किया जा रहा है। उनका कहना है कि हर जिले में एक महिला प्रमुख, जिसे मुंतजिमा कहा जाएगा, नियुक्त की जाएगी। यह प्रमुख स्थानीय स्तर पर महिला विंग की गतिविधियों की निगरानी करेगी और भर्ती एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संचालित करेगी।

महिला विंग की भर्ती प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए संगठन ने ऑनलाइन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी शुरू किया है। इसे ‘तुफात अल-मुमिनात’ नाम दिया गया है। इस ऑनलाइन कोर्स के तहत महिलाओं को जिहादी विचारधारा और फिदायीन हमलों के लिए मानसिक और शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता है। हर महिला के लिए इस कोर्स की फीस 500 रुपये रखी गई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान में चरमपंथी समूह महिलाओं का अकेले बाहर जाना मंजूर नहीं करते, इसलिए जैश-ए-मोहम्मद अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर महिलाओं की भर्ती और प्रशिक्षण कर रहा है। संगठन का उद्देश्य आईएसआईएस, हमास और लिट्टे जैसी अंतरराष्ट्रीय आतंकी संस्थाओं की तर्ज पर महिला आतंकी ब्रिगेड तैयार करना और उन्हें आत्मघाती हमलों में इस्तेमाल करना है।

मसूद अजहर के खुलासों से यह स्पष्ट होता है कि जैश-ए-मोहम्मद अपने संगठन को पुनः संगठित करने और महिला आतंकियों के माध्यम से नई रणनीतियों को लागू करने की तैयारी में है। इसके तहत महिलाओं को सक्रिय रूप से आतंकी गतिविधियों में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि महिला विंग की इस तरह की विस्तार योजना खतरे को और बढ़ा सकती है। महिलाओं के प्रशिक्षण और भर्ती के ऑनलाइन कार्यक्रम से संगठन न केवल अपनी पहुंच को बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें फिदायीन हमलों के लिए तैयार भी कर रहा है। यह कदम आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों के लिए नए खतरे पैदा कर सकता है।

जैश-ए-मोहम्मद की इस नई रणनीति ने न केवल भारत बल्कि पूरे क्षेत्र में चिंता बढ़ा दी है। सुरक्षा एजेंसियों को इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से महिलाएं कैसे आतंकवाद में शामिल हो रही हैं और उनका प्रशिक्षण किस हद तक जा रहा है।

अंततः, मसूद अजहर द्वारा किए गए खुलासे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि जैश-ए-मोहम्मद अपनी महिला विंग के माध्यम से संगठन की ताकत बढ़ाने और नई रणनीतियों को लागू करने में जुटा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर चुनौती पेश कर सकता है और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सतर्कता की आवश्यकता है।