SC ने बदला छग हाईकोर्ट का फैसला, कहा- नाबालिग लड़की के निजी अंग छूना दुष्कर्म नहीं…
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ‘किसी नाबालिग लड़की (Minor girl) के महज निजी अंगों को छूना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) या यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) के तहत दुष्कर्म का अपराध नहीं माना जाएगा।’ अदालत ने साफ किया है कि इस तरह का कृत्य पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत ‘गंभीर यौन हमला’ के अपराध के साथ-साथ आईपीसी की धारा 354 के तहत ‘महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने’ के अपराध के समान होगा।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लक्ष्मण जांगड़े की अपील का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता जांगड़े को आईपीसी की धारा 376एबी और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 20 साल की कैद की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि सभी तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि आईपीसी की धारा 376एबी और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी ठहराने के फैसले को सही नहीं ठहराया जा सकता है।
पचास हजार रुपये का जुर्माना बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरोपी ने जो कृत्य किया है, वह सीधे तौर पर आईपीसी की धारा 354 और पॉक्सो एक्ट की धारा 9(एम) के तहत महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और गंभीर यौन हमला का अपराध है। यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोषी लक्ष्मण जांगड़े की 20 साल की सजा को घटाकर आईपीसी की धारा 354 के तहत पांच साल और पॉक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत 7 साल के कठोर कारावास में बदल दिया गया। दोषी पर ₹ 50,000 का जुर्माना लगाए जाने को भी कोर्ट ने बहाल रखा है।
