बिहार में लगातार पुलों के ढहने से SC सख्‍त, नोटिस जारी कर सरकार से मांगा जवाब

Why Bridges In Bihar Keep Collapsing

नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से हाल ही के महीनों में नियमित अंतराल पर 10 पुलों के ढ़हने के बाद राज्य के सभी पुलों की इन्फ्रास्ट्रक्चरल ऑडिट की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने बिहार में लगातार गिरते पुलों की जांच कराने के लिए जनहित याचिका दाखिल की थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई।

जनहित याचिका पर सुनवाई कर बिहार सरकार को नोटिस भेजा

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील ब्रजेश सिंह द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को नोटिस जारी किया। इस नोटिस को अनुसार बिहार सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चरल ऑडिट करने और पुलों की पहचान करने के लिए एक एक्सपर्ट समिति गठित करने की मांग की गई है। इस समिति द्वारा निकाले गए ऑडिट निष्कर्षों के आधार पर यह तय किया जाएगा कि पुल की मरम्मत की जा सकती है या फिर उन्हें तोड़ कर दोबारा बनाया जाना चाहिए।

भारी बारिश से 16 दिनों के भीतर 10 पुलों के ढहने से चिंचित

वकील ब्रजेश सिंह ने यह याचिका पिछले महिने दायर की थी। अपनी इस याचिका में सिंह ने भारी बारिश के बाद 16 दिनों के भीरत 10 पुलों के ढहने पर चिंता जताई थी। सिंह ने लिखा था कि 10 दिनों के अंदर ही सीवान,सारण,मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पल ढह गए। आखिरी घटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सड़क निर्माण और ग्रामीण कार्य विभागों को राज्य के पुराने पुलों का आकलन करने और तत्काल मरम्मत की आवश्यकता वाले पुलों की पहचान करने के निर्देश देने के ठीक एक दिन बाद हुई।

पुलों की सुरक्षा और टिकाऊपन पर सवाल उठाए

जनहित याचिका में राज्य में मानसून के दौरान आई बाढ़ और भारी बारिश के बाद पुलों की सुरक्षा और टिकाऊपन पर सवाल उठाया गया है।

लगातार गिरते पुलों के बाद बिहार में बढ़ हुए भ्रष्टाचार की बात सार्वजनिक हो गई है। बिहार में लगातार नीतीश कुमार की सरकार है ऐसे में जनता उन्हें ही इन हादसों के लिए जिम्मेदार मान रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन गिरते हुए पुलों की जांच कराने को लेकर जनता को भरोसा देने की कोशिश की है।