शशि थरूर ने ठुकराया वीर सावरकर अवॉर्ड, आयोजकों का दावा: कांग्रेस के डर से पीछे हटे सांसद

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नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। इस बार वजह है वीर सावरकर अवॉर्ड। हाल ही में पुरस्कार आयोजकों ने इस वर्ष के विजेताओं की सूची में थरूर का नाम शामिल किया, लेकिन सांसद ने यह अवॉर्ड स्वीकार करने से साफ इंकार कर दिया।

थरूर का पक्ष

शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि उन्हें मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से ही पता चला कि उन्हें अवॉर्ड के लिए चुना गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें इसके बारे में कोई पूर्व जानकारी नहीं थी और न ही उन्होंने इसे स्वीकार किया था। थरूर ने इसे आयोजकों की गैर-जिम्मेदाराना कार्रवाई बताया।

उन्होंने कहा, “पुरस्कार की प्रकृति, इसे देने वाले संगठन या अन्य विवरणों की जानकारी न होने के कारण, मेरे शामिल होने या पुरस्कार स्वीकार करने का सवाल ही नहीं उठता।”

आयोजकों का पलटवार

वहीं, पुरस्कार आयोजक हाई रेंज रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी (HRDS) इंडिया ने थरूर के आरोपों को खारिज कर दिया। HRDS के सचिव अजी कृष्णन ने कहा कि थरूर को काफी पहले ही सूचित किया गया था। उन्होंने दावा किया कि संगठन और जूरी के चेयरमैन ने थरूर से उनके आवास पर मुलाकात कर उन्हें समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था।

कृष्णन ने कहा कि थरूर ने उस समय अन्य अवॉर्ड विजेताओं की सूची भी मांगी और उन्हें वह सूची दे दी गई। उन्होंने सीधे आरोप लगाया कि शायद थरूर कांग्रेस की प्रतिक्रिया के डर से अवॉर्ड लेने से पीछे हटे।

राजनीतिक बहस

सावरकर पर अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाने वाले थरूर का यह कदम अब राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस पार्टी, जो ऐतिहासिक रूप से सावरकर की विचारधारा की आलोचक रही है, के एक सांसद का पुरस्कार ठुकराना पार्टी लाइन के अनुरूप है।

हालांकि आयोजकों के दावे ने विवाद को नया आयाम दिया है। अब यह मामला केवल पुरस्कार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक बहस और मीडिया में बड़े पैमाने पर चर्चा का केंद्र बन गया है।