टीएमसी से निलंबित, लेकिन हुमायूं कबीर का फैसला अटल: बाबरी जैसी मस्जिद पर अड़ेंगे और नई पार्टी करेंगे लॉन्च
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की राजनीति में मंगलवार का दिन खासा विवादास्पद रहा, जब तृणमूल कांग्रेस टीएमसी ने मुर्शिदाबाद जिले के भरतपुर से पार्टी विधायक हुमायूं कबीर को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई उस बयान के बाद की गई जिसमें कबीर ने बेलडांगा क्षेत्र में बाबरी जैसी मस्जिद निर्माण की बात कही थी। उनके इस बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई और पार्टी नेतृत्व ने इसे अनुशासनहीनता तथा पार्टी लाइन से भटकना बताया।
टीएमसी की ओर से स्पष्ट संदेश-पार्टी विरोधी गतिविधियाँ बर्दाश्त नहीं
कोलकाता के मेयर और वरिष्ठ टीएमसी नेता फरहाद हकीम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी ने कबीर को कई मौकों पर संयम बरतने और संवेदनशील मुद्दों पर गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी न करने की सलाह दी थी। हकीम के मुताबिक, हमने देखा कि हमारे विधायक अचानक बाबरी मस्जिद जैसे अत्यंत संवेदनशील मुद्दे पर निर्माण का ऐलान कर देते हैं। यह वक्त राज्य में शांति और आपसी सद्भाव बनाए रखने का है, ऐसे में किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने की हम अनुमति नहीं दे सकते। पार्टी की नीति साफ है- टीएमसी किसी भी तरह की धार्मिक या सांप्रदायिक राजनीति में विश्वास नहीं करती। हकीम ने साफ कहा कि यह व्यवहार पार्टी की अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है, इसलिए नेतृत्व के निर्देश पर हुमायूं कबीर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा रहा है।
निलंबन के बाद कबीर का पलटवार-कल ही पार्टी छोड़ दूँगा
टीएमसी की कार्रवाई के बाद हुमायूं कबीर ने भी खुलकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के फैसले से बिल्कुल प्रभावित नहीं हैं और स्वयं ही टीएमसी से इस्तीफा देने जा रहे हैं। कबीर ने घोषणा की मैं कल ही टीएमसी से अपना इस्तीफा सौंप दूँगा। और अगर हालात बने तो 22 दिसंबर को अपनी नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा भी करूँगा।
उनके इस बयान से यह साफ हो गया है कि वह अपने राजनीतिक सफर को नए रास्ते पर ले जाने का मन बना चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से कबीर को पार्टी के भीतर विवादित बयानों के कारण कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। चाहे आंतरिक मामलों पर टिप्पणी हो या प्रशासनिक मुद्दों पर तीखी प्रतिक्रिया- वे समय–समय पर पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा करते रहे हैं।
मस्जिद निर्माण को लेकर बयान ने बढ़ाया विवाद
पूरा विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब हुमायूं कबीर ने कहा कि 6 दिसंबर को बेलडांगा में मस्जिद के शिलान्यास का बड़ा कार्यक्रम होगा। उन्होंने दावा किया कि कार्यक्रम में लाखों लोग जुट सकते हैं और इस दौरान दक्षिण बंगाल के कोलकाता को उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग NH-12 (NH-34) तक को अवरुद्ध करने की स्थिति बन सकती है।
उनके इस बयान को टीएमसी नेतृत्व ने सिर्फ गैर–जिम्मेदाराना ही नहीं, बल्कि राज्य की शांति व्यवस्था के लिए खतरा बताते हुए कड़ी निंदा की। पार्टी नेताओं का कहना है कि इस तरह के बयान विपक्ष को मुद्दा देने के साथ-साथ प्रशासन के लिए भी अनावश्यक तनाव खड़ा करते हैं।
आगे क्या?
हुमायूं कबीर के टीएमसी से दूर जाने और नई पार्टी बनाने की बातें अब राजनीतिक चर्चाओं का नया केंद्र बन गई हैं। मुर्शिदाबाद जैसे संवेदनशील जिले में उनकी राजनीतिक पकड़ अच्छी मानी जाती रही है, ऐसे में उनका अलग रास्ता चुनना आने वाले समय में क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावित कर सकता है। हालाँकि टीएमसी ने संकेत दिया है कि पार्टी किसी भी तरह की सांप्रदायिक राजनीति का समर्थन नहीं करेगी और अनुशासन भंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भविष्य में भी जारी रहेगी।
