टेक दिग्गज अजय चौधरी बोले- भारत का सारा डेटा चीन जा चुका… हम सिर्फ मोबाइलों के पेंच कस रहे

000000000000000000

नई दिल्ली। देश की नामी टेक कंपनी एचसीएल (Renowned Tech Company HCL) के सह-संस्थापक अजय चौधरी (Co-founder Ajay Chaudhary) ने भारत (India) के टेक सेक्टर में पिछड़ने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हम मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) पर ही मोटे तौर पर निर्भर हैं और यह संकट की स्थिति है। उन्होंने चीन (China) के बढ़ते लेने और भारत का डेटा हासिल करने को लेकर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने पॉडकास्ट में कहा कि आप अपने आसपास जो भी चीजें देखते हैं, उनमें चीन की चिप लगी हैं। नरेंद्र मोदी जब सत्ता में आए तो उन्होंने कहा कि मैं केंद्र सरकार के हर ऑफिस में अटेंडेंस मशीन देखना चाहता हूं। जो भी अटेंडेंस मशीने लगी हैं, वे चीन की हैं और उनमें वहीं की चिप्स लगी हैं।

फिर एक बार इंटेलिजेंस एजेंसी (Intelligence Agency) को जांच के लिए कहा गया तो उसने कहा कि सारा डेटा चीन जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस तरह हमारे सभी केंद्रीय कर्मचारियों का डेटा चीन चला गया। उन्होंने कहा कि इसी तरह भारत में गली-गली में जो सीसीटीवी कैमरे हैं, उनमें भी चीन की ही चिप्स लगी हैं। अजय चौधरी ने कहा कि इस देश में एक भी फोन भारतीय नहीं है। यह दुख की बात है। यहां मैन्युफैक्चरिंग की बातें हो रही हैं, लेकिन असल में यह पेच कसने जैसी बात है। सामान चीन से आता है और हम उन्हें असेंबल करते हैं। उन्होंने कहा कि पहले हमें यह देखना होगा कि सरकार की डिमांड क्या हैं।

उसके बाद किसी भारतीय कंपनी को ही यह काम दिया जाए। चीन में ऐसा ही होता है। चीन का सारा टेलिकॉम का काम हुवावे के पास ही और ही उसे सरकार की ओर से भी फंडिंग होती है। उनसे पूछा गया कि आखिर भारत में ऐसी कौन सी कंपनी है, जो ऐसा काम कर सकती है। इस पर उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह का कोई सपोर्ट ही भारत में नहीं करती है।

‘हमारी 60 फीसदी अर्थव्यवस्था मैन्युफैक्चरिंग की, यही बड़ा संकट है’
उन्होंने कहा कि हमारी 60 फीसदी अर्थव्यवस्था मैन्युफैक्चरिंग पर ही निर्भर है और यह बेहद खतरनाक है। हमें एक प्रोडक्ट नेशन की ओर बढ़ना होगा। चीन के लोग अपने प्रोडक्ट्स को रीब्रांड कर रहे हैं। सिंगापुर तक के आइटम को वे चीन के नाम पर बेच रहे हैं। चीन के पास बड़े पैमाने पर रेयर अर्थ है और वे उसे हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी जरूरत का 30 से 40 फीसदी रेयर अर्थ मैटिरियल तो ई-वेस्ट से ही मिल सकता है।