जेपीसी की पहली बैठक में वक्फ विधेयक पर घमासान, तीखी नोकझोंक

नई दिल्‍ली। वक्फ संशोधन विधेयक पर गुरुवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की पहली बैठक में विपक्षी सदस्यों ने विधेयक के कई प्रावधानों पर सख्त ऐतराज जताते हुए अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारियों से जवाब तलब किए। बैठक के दौरान सदस्यों के बीच कई बार नोकझोंक भी हुई। बैठक में देर तक हंगामा होता रहा। अब जेपीसी की अगली बैठक 30 अगस्त को होगी।

जेपीसी की कई घंटे तक चली बैठक में सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों पर अपने विचार दर्ज कराने के साथ कई सुझाव भी दिए। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, आप के संजय सिंह, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और डीएमके के ए राजा सहित कई विपक्षी सदस्यों ने कलेक्टर को अधिक अधिकार देने पर सवाल उठाए। विपक्षी सदस्यों ने वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के कदम सहित कई खंडों की आवश्यकता पर प्रश्न उठाए। हालांकि, कई सदस्यों की शिकायत थी कि अधिकारी उनके सवालों के जवाब देने के लिए तैयार नहीं थे। इसको लेकर कुछ सदस्यों ने नाराजगी भी जताई। एक सदस्य ने कहा कि जेपीसी की अगली बैठक 30 अगस्त को होगी।

समिति के एक सदस्य ने कहा कि जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बैठक में सभी सदस्यों को आश्वासन दिया कि समिति विभिन्न मुस्लिम निकायों सहित सभी हितधारकों से बात करेगी। जेपीसी की बैठक शुरु होने से पहले मीडिया से बात करते हुए जगदंबिका पाल ने कहा कि समिति विधेयक पर विस्तार से चर्चा करेगी और इस पर चिंताओं पर भी चर्चा करेगी। जगदंबिका पाल ने कहा कि विभिन्न हितधारकों की आवाज सुनी जाएगी। उन्होंने कहा कि जेपीसी सभी 44 संशोधनों पर चर्चा करेंगे और अगले सत्र तक एक अच्छा और व्यापक विधेयक लाएंगे। समिति विभिन्न संप्रदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न मुस्लिम निकायों को बुलाकर उनके विचार सुनेगी। इसके बाद अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।

यह विधेयक भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की पहली बड़ी पहल है जिसका उद्देश्य एक केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार करना है। इसमें कई सुधारों का प्रस्ताव है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों के लिए प्रतिनिधित्व के साथ राज्य वक्फ बोर्डों के साथ एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना करना शामिल है। सरकार ने आठ अगस्त को वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया था। विपक्ष के विरोध को देखते हुए विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 31 सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के दस सदस्य हैं। समिति को शीतकालीन सत्र तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।

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