आपदा से पहले मिलेगी चेतावनी, अंतरिक्ष में इसरो की नई सैटेलाइट उड़ान

श्रीहरिकोटा. अंतरिक्ष में इसरो ने एक बार फिर एक और उछाल लगाई है और इसरो के इतिहास में शुक्रवार की तारीख दर्ज हो गई है.अंतरिक्ष में इसरो ने एक के बाद एक झांडे गाड़ रहा है. इसी सिलसिले में अब आपदा का अलर्ट देने वाली यह सैटेलाइट लॉन्च की गई है. इस सैटलाइट को आग और ज्वालामुखी तक की जानकारी जुटाने के लिए खास तरीके से तैयार किया गया है

इसरो ने 16 अगस्त शुक्रवार को 9.17 बजे पर अंतरिक्ष में एक ऐसी सैटेलाइट लॉन्च की जो किसी भी आपदा के आने से पहले अलर्ट देगी. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो ने यह नया रॉकेट एसएसएलवी D3 लॉन्च किया. साथ ही EOS-08 मिशन के तौर पर नया अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट की लॉन्चिंग की गई है. यह सैटेलाइट आपदाओं के बारे में अलर्ट देगी. यह एसएसएलवी की अंतिम प्रदर्शन उड़ान होगी. 2024 में बेंगलुरु मुख्यालय वाली अंतरिक्ष एजेंसी ने 1 जनवरी को PSLV-C58/XPoSat मिशन और 17 फरवरी को GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन की सफल टेस्टिंग की थी.

अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट (EOS-08) एक ऐसी सैटेलाइट है जो पृथ्वी की निगरानी करेगा और साथ ही किसी भी तरह की आपदा की चेतवानी पहले से ही देगा, जिससे किसी भी आपदा का सामना करने में मदद मिलेगी. जानकारी के मुताबिक इस सैटेलाइट का वजन लगभग 175.5 किलोग्राम है. इसमें तीन पेलोड हैं. एक इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), दूसरा ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस-आर) और तीसरा एसआईसी यूवी डोसिमीटर है.

इसरो ने एक के बाद एक अंतरिक्ष में झांडे गाढ़े हैं और देश की तरक्की के लिए काम किया है , इसी सिलसिले में अब आपदा का अलर्ट देने वाली यह सैटलाइट लॉन्च की है. इस इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड को मिड वेव आईआर और लॉन्ग वेव आईआर बैंड में दिन और रात दोनों तस्वीरों को कैप्चर करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसकी वजह से इस सैटलाइट को आग और ज्वालामुखी तक की जानकारी जुटाने के लिए खास तरीके से तैयार किया गया है. वहीं यह सैटेलाइट सिस्टम महासागर की सतह की हवा, मिट्टी की नमी की जांच और बाढ़ का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग की भी इसमें क्षमता है.

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