अंत्योदय से समृद्ध होगा भारत
– डॉ. सौरभ मालवीय
देश की समृद्धि के लिए अंत्योदय अत्यंत आवश्यक है। अंत्योदय का अर्थ है- समाज के अंतिम व्यक्ति का उदय। दूसरे शब्दों में- समाज के सबसे निचले स्तर के लोगों का विकास करना ही अंत्योदय है। अंत्योदय के बिना देश उन्नति नहीं कर सकता, क्योंकि जब तक देश के अति निर्धन वर्ग का उत्थान नहीं होता, तब तक वह मुख्यधारा में सम्मिलित नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में देश भी समृद्ध नहीं हो पाएगा। इसलिए अंत्योदय आवश्यक है।
जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय का नारा दिया था। अंत्योदय उनका सपना था। वे कहते थे कि आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति का माप समाज के ऊपर की सीढ़ी पर पहुंचे हुए व्यक्ति नहीं, बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा। अंत्योदय के माध्यम से केवल भारत ही नहीं, अपितु समग्र विश्व का विकास हो सकता है। इसके सुनियोजित योजना एवं उत्तरदायित्व आवश्यक है। विश्व के बहुत से विकसित राष्ट्र हालांकि किसी भी योजना के बिना ही वर्तमान आर्थिक विकास की दर प्राप्त करने में सफल रहे हैं, जिससे कुछ लोगों को यह अनुभव हो रहा है कि योजनाएं न केवल अनावश्यक हैं, अपितु निहायत अवांछनीय भी हैं। इसके बावजूद आम सहमति इस बात पर भी है कि यदि अविकसित राष्ट्र थोड़े समय में वही हासिल करना चाहते हैं, जो विकसित देशों ने लगभग एक शताब्दी में प्राप्त किया है तो विकास को अपनी प्राकृतिक गति पर नहीं छोड़ा जा सकता। विकास की प्रक्रिया शुरू करने के लिए भी एक प्रयास करना पड़ेगा और यह प्रयास नियोजित ढंग से होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर, 2014 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 98वीं जयंती के अवसर पर अंत्योदय दिवस की घोषणा की थी, तभी से यह दिवस मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास का प्रकाश पहुंचाना है, ताकि वे भी प्रगति करके समाज की मुख्यधारा में सम्मिलित हो सकें। आर्थिक उन्नति के साथ-साथ यह दिवस समाज में व्याप्त असमानताओं के उन्मूलन के लिए कार्य करने की प्रोत्साहित करता है। इसके अतिरिक्त यह दिवस विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देता है, जिससे निर्धनों एवं वंचित वर्गों के लोगों को उनके कल्याण के लिए संचालित की जा रही योजनाओं की जानकारी प्राप्त हो सके तथा वे इसका लाभ उठा सकें। सरकार इन वर्गों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना के कई घटक हैं, जिन्हें अलग-अलग समय पर प्रारंभ किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने 25 सितंबर, 2014 को दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना भी प्रारंभ की। इसका उद्देश्य निर्धन ग्रामीण युवाओं को नौकरियों में नियमित रूप से न्यूनतम पारिश्रमिक के समान या उससे अधिक मासिक पारिश्रमिक प्रदान करना है। यह योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने के लिए की क्रियान्वित की जा रही है। इससे पूर्व 24 सितंबर, 2013 को राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन प्रारंभ किया गया था। इसके अंतर्गत शहरी निर्धनों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने एवं उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने पर ध्यान दिया जाता है। इससे पूर्व 25 सितंबर, 2004 को दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना प्रारंभ की गई थी। इस योजना के अंतर्गत निर्धन रोगियों को एंबुलेंस की सुविधा प्रदान की जाती है।
उल्लेखनीय है कि सरकार अंत्योदय अन्न योजना संचालित कर रही है। यह योजना 25 दिसंबर 2000 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा प्रारंभ की गई थी। इसे केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय द्वारा लागू किया गया था। इसका उद्देश्य सार्वजनिक वितरण परमाली द्वारा देश के सबसे निर्धन लोगों को रियायती दरों पर भोजन उपलब्ध करवाना है। इस योजना के अंतर्गत निर्धन परिवारों को 35 किलो राशन प्रदान किया जाता है। इसमें 20 किलो गेहूं और 15 किलो चावल सम्मिलित होता है। इसके अंतर्गत गेहूं तीन रुपये प्रति किलोग्राम और चावल दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से दिया जाता है। इसे सबसे पहले राजस्थान में लागू किया गया था। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि कच्ची नौकरियों में निर्धन परिवारों के युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इसमें वे परिवार सम्मिलित हैं, जिनकी वार्षिक आय एक लाख 80 हजार रुपये से कम है। कोरोना काल से यह राशन नि:शुल्क कर दिया गया।
भारतीय जनता पार्टी की केंद्र एवं राज्य सरकारें अंत्योदय के सिद्धांत को लेकर शासन कर रही हैं। भाजपा के अनुसार एकात्म मानववाद और अंत्योदय का दर्शन पार्टी के मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक है। इस सिद्धांत को हम सबका साथ सबका विकास के साथ मिला हुआ देख सकते हैं जो गरीब, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार द्वारा तय की गई नीतियों में भी नजर आता है। दीनदयाल जी और उनकी आर्थिक नीतियों ने हमेशा गरीबों की भलाई पर जोर देने की बात की है। उनके आर्थिक विचार में पंक्ति के अंतिम पड़ाव पर खड़ा व्यक्ति शामिल रहा है। उन्होंने कहा था कि ‘आर्थिक नीति निर्धारण और प्रगति की सफलता का पैमाना यह नहीं है कि समाज के सबसे शीर्ष पर मौजूद व्यक्ति को उससे कितना फायदा मिल रहा है बल्कि यह है कि समाज पर जो लोग सबसे नीचे हैं उन्हें उन नीतियों का कितना फायदा मिला है। अंत्योदय का मतलब समाज के सबसे निचले स्तर पर मौजूद व्यक्ति का कल्याण है। उन्होंने यह भी कहा था कि यह हमारी सोच और हमारे सिद्धांत हैं कि ये गरीब और अशिक्षित लोग हमारे ईश्वर हैं, यही हमारा सामाजिक और मानवीय धर्म है।
उनके इसी अंत्योदय के विचार से प्रेरित होकर केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मौजूद एनडीए सरकार और तमाम प्रदेशों में शासन करने वाली भाजपा सरकारें अंत्योदय के रास्ते पर बढ़ने की ओर अग्रसर हैं तथा गरीब, ग्रामीण एवं किसानों के लिए और समाज के सबसे शोषित वर्ग से आने वाले युवाओं और महिलाओं के कल्याण की ओर प्रतिबद्ध हैं। गरीब को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हुए औसत जीवन स्तर में बढ़ोतरी हुई है। मुद्रा, जनधन, उज्जवला, स्वच्छता मिशन, शौचालयों का निर्माण, दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना, आवास योजना, सस्ती दवाएं और इलाज, इन सभी योजनाओं पर कार्य को आगे बढ़ा दिया गया है।
तकनीक के प्रयोग से कृषि में सुधार किया जा रहा है एवं किसानों की आय दुगनी करने के इरादे से सिंचाई तकनीकों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं। केंद्रीय बजट की सहायता से गांवों में भी कई निवेश किए जा रहे हैं। दीनदयाल जी के विचारों से प्रेरित भाजपा सरकार देश के संसाधनों का उपयोग केवल देश की उन्नति के लिए करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए यह सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने, कालाधन रोकने और जनता की कमाई की लूट रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही है। एक भारत-श्रेष्ठ भारत का रास्ता गरीबी दूर करके ही मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अंत्योदय व सेवा के संकल्प को पूर्ण कर विकसित भारत के निर्माण के लिए भाजपा प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि मां भारती की सेवा में जीवनपर्यंत समर्पित रहे अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का व्यक्तित्व और कृतित्व देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बना रहेगा।
वास्तव में दीनदयाल अंत्योदय योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए स्वरोजगार के अवसरों में वृद्धि करती है। इसके अंतर्गत कृषि और गैर-कृषि दोनों प्रकार की आजीविकाओं में सहायता मिलती है। इससे महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सहायता मिलती है। महिला स्वयं सहायता समूहों को उनकी आजीविका बढ़ाने में सहायता मिलती है। इसके अंतर्गत महिलाओं को बैंकिंग संवाददाता सखियों के रूप में प्रशिक्षण दिया जाता है।
(लेखक, लखनऊ विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।)