Om Puri Birth Anniversary: गरीबी में बेची चाय, झेले ताने, नसीरुद्दीन शाह की बचाई थी जान; जानिए ओम पुरी के अनकहे किस्से
नई दिल्ली। गरीबी, अपमान और संघर्ष के बीच खुद को पहचान दिलाने वाले अभिनेता ओम पुरी (Om Puri) हिंदी सिनेमा की उन दुर्लभ हस्तियों में रहे, जिन्होंने अभिनय को जीवन का साधन नहीं, बल्कि साधना बना लिया। आज उनकी जयंती पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी वो अनसुनी कहानियां, जिन्होंने एक साधारण लड़के को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अभिनेता बना दिया।
गरीबी में गुजरा बचपन, बेची चाय और धोए बर्तन
ओम पुरी का जन्म हरियाणा के अंबाला में हुआ था। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि बचपन में उन्हें चाय बेचनी पड़ी और ढाबों में बर्तन तक धोने पड़े। जब वे छह साल के थे, उनके पिता पर सीमेंट चोरी का झूठा आरोप लगा और वे जेल चले गए। इस घटना के बाद परिवार भूखमरी की कगार पर पहुंच गया, लेकिन ओम पुरी ने हार नहीं मानी।
दिलचस्प बात यह है कि उनका कोई जन्म प्रमाण पत्र नहीं था। मां के अनुसार वे दशहरे के दो दिन बाद जन्मे थे, इसलिए उन्होंने 18 अक्टूबर 1950 को ही अपना जन्मदिन मान लिया।
NSD और FTII से निकला अभिनय का ‘सच्चा हीरा’
अभिनय की बारीकियां सीखने के लिए ओम पुरी ने FTII पुणे और NSD दिल्ली का रुख किया।
FTII में प्रवेश साक्षात्कार के दौरान कुछ सदस्यों ने कहा था कि “इसका चेहरा न हीरो का है, न खलनायक का, न ही कॉमेडियन का। यह क्या करेगा?” लेकिन निर्देशक गिरिश कर्नाड ने उन्हें दाखिला दिलवाया। आगे चलकर यही चेहरा भारतीय सिनेमा का यथार्थ बन गया।
NSD में उनके साथी थे नसीरुद्दीन शाह, जिनसे उनकी गहरी दोस्ती हो गई। वहीं FTII में वे निर्देशक डेविड धवन के रूममेट रहे। शुरुआत में डेविड को ओम पुरी ‘ह्यूमरलेस’ लगे, पर वक्त के साथ उनकी सोच बदल गई।
जब ओम पुरी ने नसीरुद्दीन शाह की बचाई जान
साल 1977 में एक रेस्तरां में नसीरुद्दीन शाह पर हमला हुआ। उस समय ओम पुरी ने बहादुरी दिखाते हुए हमलावर को रोक लिया और नसीरुद्दीन की जान बचाई। यह घटना बाद में दोनों की दोस्ती का प्रतीक बन गई, जिसका जिक्र कई पुस्तकों और इंटरव्यू में मिलता है।
शादी, विवाद और निजी जीवन की उथल-पुथल
ओम पुरी की पहली शादी सीमा कपूर से हुई, जो ज्यादा नहीं चली। बाद में उन्होंने पत्रकार नंदिता पुरी से शादी की। नंदिता ने उनकी जीवनी “Unlikely Hero: The Story of Om Puri” लिखी, जिसमें ओम पुरी की निजी जिंदगी के कई विवादित पहलुओं का ज़िक्र था।
किताब के प्रकाशन के बाद दोनों के बीच मतभेद बढ़े और 2016 में वे अलग हो गए। ओम पुरी ने आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी ने उनकी निजी बातों को “सस्ती सनसनी” बना दिया।
‘आक्रोश’ से ‘हेरा फेरी’ तक — हर किरदार में सच्चाई
ओम पुरी ने आर्ट और कमर्शियल दोनों सिनेमा में अपनी गहरी छाप छोड़ी।
‘आक्रोश’, ‘अर्धसत्य’, ‘जाने भी दो यारों’, ‘चाची 420’, ‘हेरा फेरी’ जैसी फिल्मों से लेकर ‘सिटी ऑफ जॉय’, ‘ईस्ट इज ईस्ट’ जैसी अंतरराष्ट्रीय फिल्मों तक वे हर मंच पर चमके।उनका अभिनय वास्तविकता के इतना करीब था कि दर्शक किरदार को नहीं, ओम पुरी को ही जीते हुए महसूस करते थे।
मौत पर उठे सवाल, लेकिन विरासत अमर रही
6 जनवरी 2017 को ओम पुरी का निधन मुंबई में हुआ। शुरुआती रिपोर्ट में दिल का दौरा कारण बताया गया, पर पोस्टमॉर्टम में सिर पर चोट का जिक्र था, जिससे कई सवाल उठे।
पुलिस जांच के बाद किसी भी साजिश की संभावना को नकार दिया गया।
एक युग का अंत, अभिनय की पाठशाला छोड़ गए पीछे
ओम पुरी केवल अभिनेता नहीं, बल्कि अभिनय की एक चलती-फिरती संस्था थे। वे FTII और NSD के छात्रों के लिए बने।उनका सिनेमा आज भी इस बात का सबूत है कि संघर्ष से निकला कलाकार ही सबसे सच्चा कलाकार होता है।
