डोनाल्ड ट्रंप का निर्देश, अमेरिका में हमास समर्थकों के प्रवेश पर ही लगेगा बैन

नई दिल्ली, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पिछले इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले छात्रों को डिपोर्ट कर दिया था। अब ट्रंप प्रशासन इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए फैसला लेने वाला है कि हमास की विचारधारा का समर्थन करने वाले युवाओं को एंट्री ही न दी जाए। अमेरिका में मिडल ईस्ट से भी बड़ी संख्या में लोग हर साल पढ़ाई के लिए पहुंचते हैं। इनमें बड़ा आंकड़ा ऐसे लोगों का भी होता है, जो फिलिस्तीन और हमास के समर्थक होते हैं। ऐसे में इन लोगों को एकजुट होने से रोकने और विरोध को मजबूत होने से रोकने के लिए ट्रंप प्रशासन एंट्री पर ही बैन की तैयारी कर रहा है। कॉलेजों में एडमिशन से पहले पूरी स्क्रूटनी की जाएगी। यदि किसी छात्र को हमास का समर्थक पाया गया तो उसे एंट्री नहीं दी जाएगी।
उनके इस फैसले का भी एक वर्ग विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से कैंपस में फ्री स्पीच खत्म होगी और इस फैसले के खिलाफ मुकदमा दायर किया जाएगा। विदेश मंत्री मार्को रुबियो फिलहाल इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि ऐसे छात्रों को अमेरिका में एंट्री ही नहीं मिले, जिन्होंने इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन किया था। यही नहीं इसके तहत बीते तीन सप्ताह करीब 300 विदेशी छात्रों का वीजा कैंसल किया गया है। फिलहाल पूरे अमेरिका में 15 लाख लोग स्टूडेंट वीजा पर हैं। सरकार की योजना यह भी है कि स्टूडेंट ऐंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम में भी बदलाव किया जाए। इसके तहत स्टूडेंट वीजा पर आने वाले छात्रों को एडमिशन देने की अनुमति कॉलेजों को दी जाती है।
अधिकारियों का कहना है कि पहले ऐसे कई कॉलेजों की मान्यता भी खत्म की जा चुकी है, जहां स्टूडेंट वीजा होल्डर्स को ही एडमिशन मिला था। ऐसा इसलिए क्योंकि ये संस्थान सिर्फ वीजा होल्डर्स को एडमिशन देकर कमाई का जरिया बने हुए थे। अब डोनाल्ड ट्रंप भी ऐसी ही चेतावनी दे रहे हैं। दरअसल इजरायल और हमास के बीच छिड़ी जंग के दौरान कई बार अमेरिका के कॉलेजों में प्रदर्शन हो चुके हैं।
इन प्रदर्शनों में इजरायल के खिलाफ नारेबाजी की गई थी। इसके बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन सख्त है। उसका मानना है कि ऐसे लोगों की अमेरिका में एंट्री पर ही बैन लगा दिया जाए, जो अमेरिका और इजरायल के खिलाफ हैं। बता दें कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया और लॉस एंजिलिस में हमास के समर्थन में प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों के दौरान इजरायल के अलावा अमेरिका के खिलाफ भी नारेबाजी की गई थी।