गाजा के बाद अब राफा में नरंसहार की आशंका, रिहायशी इलाकों में घुसे आईडीएफ के टैंक
राफा । गाजा के बाद इजरायली सेना ने अपना ध्यान अब राफा शहर की ओर कर दिया है। अमेरिका समेत अपने तमाम सहयोगी देशो की चेतावनी के बावजूद बेंजामिन नेतन्याहू के आदेश पर आईडीएफ राफा में लगातार अंदर जा रही है। गाजा के बाद अब राफा में नरंसहार की आशंका बढ़ गई है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि इजरायली सेना राफा में भी लोगों से उसी तरह पेश आ रही है, जैसे गाजा में हो रहा था। इजरायली सेना का सड़कों पर उत्पात मचाना और बमों की बारिश करना जारी है। रिपोर्ट है कि इजरायली टैंक अब रिहायशी इलाकों तक भी पहुंच गए हैं।
इजरायली टैंक पूर्वी राफा में काफी आगे बढ़ गए हैं। इजरायली सेना गाजा के दक्षिणी सीमावर्ती शहर के कुछ आवासीय जिलों तक पहुंच गए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि टैंकों को महत्वपूर्ण सलाह अल-दीन सड़क से पार करते हुए देखा गया है। यह सड़क गाजा को उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में विभाजित करती है। एक व्यक्ति ने रॉयटर्स को बताया, “इजरायली सेना रिहायशी इलाकों के अंदर आ गए हैं। सड़क पर जगह-जगह झड़पें हो रही हैं। ये दृश्य काफी तनाव भरे हैं।” संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा कि इजरायली सेना उनके कार्यालय से लगभग 2 किमी दूर तक पहुंच गई है।
राफा में शुरू हो गई हमास-इजरायल की जंग
राफा में घुसते ही इजरायली सेना और हमास आतंकियों के बीच जंग शुरू हो गई है। हमास की एक सशस्त्र शाखा ने दावा किया कि उसने पूर्वी अल-सलाम में एक मिसाइल से इजरायली सैन्य वाहन को नष्ट कर दिया, जिसमें चालक दल के कुछ सदस्य मारे गए हैं। हालांकि इज़रायल रक्षा बलों ने अपुष्ट रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
इस बीच आईडीएफ ने कहा कि उसके बलों ने राफा सीमा पर करीबी लड़ाई में “कई सशस्त्र आतंकवादियों” को मार डाला। आईडीएफ ने कहा कि शहर के पूर्व में उसने उग्रवादियों एक टोली और पोस्ट को भी नष्ट कर दिया है, जहां से उसके सैनिकों पर मिसाइलें दागी जा रही थीं।
राफा से पलायन कर चुके 5 लाख फिलिस्तीनी
रिपोर्ट है कि राफा पर हमले से पहले आईडीएफ ने लोगों को शहर खाली करने की चेतावनी दी थी। जिसके बाद पूर्वी और मध्य इलाकों से 360,000 से 500,000 फिलिस्तीनी रफ़ा से भाग गए हैं। वहीं, क्षेत्र के उत्तर में, जहां इजरायली सैनिकों ने हफ्तेभर में कई ऑपरेशन किए, वहां भी आम फिलिस्तीनियों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। करीब 100,000 लोग भी यहां से पलायन कर गए थे।