लंदन के बाद अब नार्वे में भी अफगान दूतावास बंद, तालिबानी आदेश का असर
ओस्लो । लंदन के बाद अब नॉर्वे में भी अफगान दूतावास बंद हो रहा है। पश्चिम देशों में बंद हो रहे अफगान दूतावासों के पीछे की वजह महीनेभर पहले तालिबान का आदेश है। अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार ने कहा था कि वे अब पूर्व, पश्चिमी समर्थित सरकार द्वारा स्थापित राजनयिक मिशनों को मान्यता नहीं देते हैं। उनकी जगह हमें मान्यता देने वाले देशों में इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के दूतावास स्थापित किए जाएंगे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान में, नॉर्वे ने दूतावास ने घोषणा की कि 12 सितंबर तक दूतावास बंद करके विदेश मंत्रालय के हवाले कर दिया जाएगा।
अब लंदन में भी दूतावास कार्यालय बंद करने की घोषणा
नॉर्वे में अफगान दूतावास ने एक बयान में कहा, “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का दूतावास, अफगानिस्तान के कई अन्य राजनीतिक और कांसुलर मिशनों की तरह अपनी गतिविधियां जारी रखेगा।” दूतावास परिसर नॉर्वे के विदेश मंत्रालय को सौंप दिया जाएगा। इससे पहले सोमवार को लंदन में भी अफगान दूतावास बंद करने की घोषणा की गई। ब्रिटेन के विदेश कार्यालय ने कहा, ‘‘तालिबान द्वारा अपने कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बाद दूतावास को बंद किया जा रहा है।’’ ब्रिटेन तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देता है।
27 सितंबर को लंदन में और 12 को नॉर्वे में लगेगा ताला
ब्रिटेन सरकार ने सोमवार को कहा था कि काबुल में तालिबान अधिकारियों द्वारा अपने कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बाद लंदन दूतावास 27 सितंबर को बंद हो जाएगा। ब्रिटेन तालिबान को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं देता है। अब नॉर्वे में आगामी गुरुवार तक अफगान दूतावास पर ताला लग जाएगा। इसके बाद इसे नॉर्वे विदेश मंत्रालय को सौंप दिया जाएगा।
कब्जा करने के बाद कुछ ही महीनों में नई सरकार का गठन किया
गौरतलब है कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने कुछ ही महीनों में देशभर में नई सरकार का गठन कर लिया था। तालिबान सरकार के अस्तित्व में आने के बाद अन्य देशों में अफगान दूतावासों पर संकट गहरा गया। अफगान दूतावासों को बंद करने के लिए कुछ महीने पहले तालिबान सरकार ने फैसला लिया था कि वो अफगान राजनयिक मिशनों को बंद करके इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान दूतावास की स्थापना करने जा रहे हैं। तालिबान ने चीन और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई देशों में अपने राजदूत या राजनयिक भेजे हैं।