पुतिन भारत दौरे पर रवाना: शाम को PM मोदी देंगे प्राइवेट डिनर; S-400 खरीद पर हो सकता है बड़ा समझौता, पाकिस्तानी जेट गिराने में है सक्षम

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नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच कल शुक्रवार को 9 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं जिसमें रक्षा सौदे प्रमुख होंगेभारत रूस से और ज्यादा S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने पर डील कर सकता है।’ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान S-400 ने कई पाकिस्तानी जेट्स मार गिराए थे, जिसने भारत के लिए गेमचेंजर का काम किया।इसके अपडेटेड वर्जन S-500 को खरीदने को लेकर भी बातचीत हो सकती है।पुतिन के दौरे से ठीक पहले, भारत ने रूस से करीब 2 अरब डॉलर में परमाणु-संचालित अटैक सबमरीन पनडुब्बी 10 साल की लीज पर लेने की डील लगभग फाइनल कर ली है। यह सबमरीन भारतीय नौसैनिकों को ट्रेनिंग देने में मदद करेगी।
रणनीतिक स्वायत्तता की असली परीक्षा
पुतिन का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब पीएम मोदी अपनी वैश्विक भूमिका को मजबूत करना चाहते हैं, लेकिन भारत-अमेरिका संबंध ट्रम्प प्रशासन के लौटने के बाद सबसे खराब दौर में चले गए हैं।भारत की रणनीति रही है कि वह रूस को छोड़े नहीं और पश्चिमी देशों को भी नाराज न करे। मोदी के लिए यह संतुलन साधना अहम हैट्रम्प के लौटने के बाद भारत-अमेरिका के बीच टैरिफ का मामला अभी भी अटका हुआ है, ऐसे में पुतिन का दौरा मोदी की रणनीतिक स्वतंत्रता की असली परीक्षा है। भारत को यह दिखाना होगा कि वह पुतिन का भरोसेमंद साझेदार है, लेकिन अमेरिका और यूरोप को भी पूरी तरह नाराज नहीं कर रहा है।

रूस का दबदबा घटा, पर अभी भी सबसे बड़ा सप्लायर

पिछले दस साल में भारत ने अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाया है, जिससे हथियारों की सप्लाई में रूस की हिस्सेदारी घटकर लगभग 36% रह गई है SIPRI रिपोर्ट। हालांकि, रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर बना हुआ है, खासकर न्यूक्लियर सबमरीन, मिसाइल डिफेंस और विशेष तकनीक जैसे बड़े डिफेंस सिस्टम के लिए।

2030 तक $100 अरब ट्रेड का लक्ष्य

पुतिन दो दिवसीय दौरे पर 23वीं भारत-रूस समिट में भाग लेंगे, जिसका मुख्य लक्ष्य 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाना है।एनर्जी, इन्वेस्टमेंट, तकनीक और इंडस्ट्री।भारत रूस की मदद से कुडनकुलम  तमिलनाडु में न्यूक्लियर पावर प्लांट चला रहा है। इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने पर भी बात होगी।

इंडियन वर्कर्स के लिए रूस में नौकरी और पेमेंट सिस्टम पर बात

पुतिन के साथ 7 मंत्री और रूसी सेंट्रल बैंक के गवर्नर भी आ रहे हैं। इस दौरान दो बड़े मुद्दों पर बात हो सकती हैरूस में वर्कर्स की कमी के कारण, रूस चाहता है कि भारत से तकनीकी विशेषज्ञ, मेडिकल स्टाफ, इंजीनियर आदि आएं। भारत से 10 लाख स्किल्ड वर्कर्स को रूस में रोजगार देने के लिए मोबिलिटी पैक्ट हो सकता है।
अमेरिका और यूरोपीय दबाव के कारण रूस से सस्ता क्रूड ऑयल खरीदने के पेमेंट में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए, रुपया-रूबल ट्रेड, डिजिटल भुगतान या किसी तीसरे देश के बैंक का इस्तेमाल जैसे नए पेमेंट सिस्टम बनाने पर सहमति बन सकती हैरूस, भारत को आर्कटिक रीजन की एनर्जी परियोजनाओं में निवेश का मौका भी दे सकता है।

पुतिन करेंगे ज़्यादा तेल खरीद की डिमांड

यूक्रेन युद्ध के बाद भारत की रूस से तेल खरीद 2.5% से बढ़कर 35% हो गई थी, लेकिन अमेरिका के टैरिफ लगाने के बाद भारत ने यह खरीद कम कर दी। रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन चाहते हैं कि भारत दोबारा बढ़-चढ़कर रूसी तेल खरीदे, जो दोनों देशों के व्यापार संतुलन के लिए अहम है।पुतिन दिल्ली के ITC मौर्य होटल में रुकेंगे, और दोनों नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत होगी।