लंबे चलते रूस-यूक्रेन युद्ध से पैसा कमा रहा है अमेरिका .. ट्रंप का बाइडन पर हमला

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वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) पद पर बैठने से पहले एक व्यापारी (Businessman.) के तौर पर अपना नाम कमा चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रपति बनने के बाद अपने फैसलों में भी अपने व्यापारिक अनुभव का इस्तेमाल करते हैं। अपनी इसी खासियत को सामने रखते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) की लंबी चलती जंग से बहुत पैसे कमा रहा है। इतना ही नहीं ट्रंप ने अपने पूर्ववर्ती बाइडेन पर तंज कसते हुए कहा कि यह उनका शासन नहीं है कि राष्ट्रीय खजाने को खाली कर दिया जाए।

वाइट हाउस में मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने जुलाई में नाटो देशों के साथ साइन की गई उस डील की तारीफ की, जिसमें संगठन ने अमेरिका से हथियार खरीदकर यूक्रेन को सौंपने की बात कबूल की थी। ट्रंप ने कहा, “हम युद्ध पर और खर्च नहीं कर रह रहे हैं। क्या आप जानते हैं, हम जो कुछ भी हथियार वहां भेज रहे हैं, उसके लिए भुगतान किया जा रहा है। बाइडेन के जैसे नहीं कि उन्होंने यूक्रेन को 350 अरब डॉलर दे दिए थे, जो कि चौंकाने वाला है।” ट्रंप ने जोर देकर कहा कि अब यह युद्ध केवल अमेरिका द्वारा नहीं बल्कि नाटो द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है।

हालांकि ट्रंप ने अपने रुख को सामने रखते हुए कहा कि हम इस युद्ध से पैसे नहीं कमाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “असल में मैं उस युद्ध से पैसे नहीं कमाना चाह रहा, लेकिन सच में हम इस युद्ध से पैसे कमा रहे क्योंकि वे हमारे उपकरण खरीद रहे, जैसा कि आप जानते हैं।”

ट्रंप ने अपने पूर्ववर्ती बाइडेन पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने बिना पैसों के यूक्रेन को अमेरिका से हथियार खरीदने की पूरी छूट दे दी थी। उन्होंने इस देश के राष्ट्रीय खजाने को खाली करने और पूरा युद्ध टैक्स पेयर्स के जरिए फंड करने की कोशिश की थी। इसके अलावा ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की पर भी निशाना साधा और उन्हें धरती का सबसे बड़ा खरीददार बताया। क्योंकि उनके देश में हथियारों की आपूर्ति असीमित हो रही है।

गौरतलब है कि ट्रंप का यह रुख उनके पिछले रुख से एकदम अलग है, जिसमें उन्होंने कीव को बिना शर्त सैन्य समर्थन देने की बात कही थी। हालांकि उससे पहले भी ट्रंप यूक्रेन से अभी तक की गई मदद को खनिज डील के जरिए नापने और आने वाली हथियार खरीद को नाटो देशों के ऊपर थोपने की नीति पर चल रहे थे। अमेरिका शुरुआत से ही इस युद्ध में यूक्रेन के पक्ष से लड़ता हुआ आ रहा है। हालांकि बाइडेन प्रशासन के दौर में यूक्रेन के लिए अमेरिका से डील करना आसान था, ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से यूक्रेन की मदद के लिए नाटो को पैसा भेजना होता है। ट्रंप भी सत्ता में आने से पहले ही जेलेंस्की की आलोचना कर चुके हैं। इसके अलावा जब वह वाइट हाउस आए भी थे, तो सार्वजनिक रूप से उनकी आलोचना की गई थी।

ट्रंप लगातार इस युद्ध को यूक्रेन पर दबाव बनाकर सुलझाने की कोशिश करते रहे हैं। लेकिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन और जेलेंस्की की सीधी बात न हो पाने की वजह से वह लगातार इस अभियान में असफल रहे हैं। अभी हाल ही में ब्रिटेन दौरे पर पहुंचे ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन की आलोचना करते हुए कहा था कि पुतिन ने उन्हें निराश किया है।