जानें—कार में ब्लैक-फिल्म लगाने पर कितना जुर्माना लगता है, किसे है छूट..

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नई दिल्ली/ हाल ही में देश के कई राज्यों में कारों पर ब्लैक या टिंटेड फिल्म लगाने वालों पर पुलिस ने सख्त कार्रवाई तेज कर दी है। दिल्ली यातायात पुलिस ने सिर्फ एक हफ्ते में 2,235 से अधिक चालान काटे, जबकि उत्तर प्रदेश के मेरठ में ‘ऑपरेशन ब्लैक कैट’ चलाकर तीन दिन में 454 वाहनों पर चालान किए गए। आंकड़े बताते हैं कि लाखों लोग अब भी इस नियम को या तो जानते नहीं, या जानबूझकर उसका उल्लंघन करते हैं। सिर्फ दिल्ली में पिछले एक साल में 20,232 चालान ब्लैक फिल्म को लेकर किए गए। लेकिन आखिर ब्लैक फिल्म हटाने पर इतनी कड़ाई क्यों है? इसका सीधा संबंध सड़क सुरक्षा, कानून व्यवस्था और सार्वजनिक सुरक्षा से है।

लोग ब्लैक फिल्म क्यों लगवाते हैं?
अक्सर कार मालिक कुछ कारणों से ब्लैक/टिंटेड फिल्म लगवा लेते हैं- कार के अंदर गर्मी को कम करने के लिए  ज़्यादा प्राइवेसी पाने के लिए मॉडिफिकेशन और लग्जरी लुक के शौक के चलते  कानून की जानकारी न होने के कारण  लेकिन फायदे के बावजूद यह पूरी तरह अवैध है-चाहे फिल्म हल्की ही क्यों न हो या VLT मानकों को पूरा करती हो।

कानून क्या कहता है?
इस विषय में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबसे महत्वपूर्ण है।सुप्रीम कोर्ट का 2012 का आदेश Abhishek Goenka vs Union of India कोर्ट ने साफ कहा- कार खरीदने के बाद बाहर से किसी भी प्रकार की फिल्म लगवाना गैर-कानूनी है, चाहे वह ब्लैक हो, कलर्ड हो, स्मोक्ड हो या हल्की ही क्यों न हो।पुलिस को अधिकार है कि वह मौके पर फिल्म उतरवाए और चालान करे।

CMVR नियम 100 (1989)
यह नियम फैक्ट्री में बने ग्लास के VLT Visible Light Transmission मानक तय करता है-फ्रंट और रियर विंडशील्ड – कम से कम 70% विजिबिलिटी साइड विंडो – कम से कम 50% विजिबिलिटी अर्थात् कार कंपनियां हल्का टिंट दे सकती हैं लेकिन यह फैक्ट्री से ही होना चाहिए और मानक के भीतर होना चाहिए। बाजार में लगवाई गई कोई भी फिल्म अवैध है।

ब्लैक फिल्म से होने वाले खतरे

1. सड़क सुरक्षा को बड़ा जोखिम
ब्लैक या स्मोक्ड फिल्म से विजिबिलिटी 40–70% तक कम हो जाती है।
रात, धुंध, बारिश या हाईवे पर इससे दुर्घटना की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

2. अपराधों को बढ़ावा
पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि- ब्लैक फिल्म के कारण कार के अंदर क्या हो रहा है, यह बाहर से दिखाई नहीं देता। अपहरण, छेड़छाड़, तस्करी और कई आपराधिक गतिविधियों में ऐसे वाहनों का उपयोग बढ़ता है। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें सुरक्षा के लिए खतरा बताया था।

कितना जुर्माना लगता है?

अधिकतर राज्यों में चालान- 100 से 1,000 कुछ राज्यों में इसे बढ़ाकर- ₹2,000 तक कर दिया गया है। बार-बार पकड़े जाने पर जुर्माना और अधिक लगाया जा सकता है। पुलिस मौके पर फिल्म उतरवाने का अधिकार भी रखती है।

किन लोगों को छूट मिलती है?

केवल Z+ या Z श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त VIPs को वह भी सरकारी अनुमति पत्र के साथ।
Ministers, MPs, MLAs, Judges-किसी को भी व्यक्तिगत छूट नहीं। छूट सिर्फ विशेष सुरक्षा श्रेणी के लिए है। फिल्म हटाने का सुरक्षित तरीका फिल्म को खींचकर नहीं उतारें। हेयर ड्रायर या हीट गन से ग्लास को हल्का गर्म करें। किनारे से धीरे-धीरे फिल्म निकालें। बचा गोंद ग्लास क्लीनर या साबुन-पानी से साफ करें।

क्या इससे इंश्योरेंस क्लेम पर असर पड़ता है?

हाँ! अवैध मॉडिफिकेशन होने पर- क्लेम कम किया जा सकता है या पूरी तरह रिजेक्ट भी हो सकता है अगर पहले चालान हो चुका है  तो बीमा कंपनी इसे रूल वायलेशन मानकर केस और सख्ती से जांचती है।

पुलिस कैसे जांच करती है?

VLT मीटर टिंट मीटर से विजुअल इंस्पेक्शन – अगर फिल्म साफ दिख रही हो, तो चालान तुरंत

 किया जाता है।