जबलपुर में अंग्रेजों की 'दासता' की निशानियों को मिटाने की मुहिम: 15 से ज्यादा सड़क-चौराहों के नाम बदले

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जबलपुर । जबलपुर शहर में पिछले कुछ वर्षों से एक विशेष मुहिम चलाई जा रही हैजिसका उद्देश्य अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान रखे गए स्थानों के नाम बदलना है। इस पहल के तहत शहर के प्रमुख मार्गोंतिराहों और चौराहों के नाम बदले जा रहे हैं ताकि देश की आज़ादी और भारतीय संस्कृति को सम्मानित किया जा सके। पिछले दो सालों में 15 से ज्यादा प्रमुख सड़कों और चौराहों के नाम बदल दिए गए हैं। इनमें राइट टाउननेपियर टाउन और रसल चौक जैसी जगहें शामिल हैंजो अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ब्रिटिश अफसरों के नाम पर रखी गई थीं।
इन नामों को अब भारतीय महापुरुषों बलिदानियों और महान शख्सियतों के नाम पर रखा जा रहा है। इस बदलाव की प्रक्रिया नगर निगम के महापौर परिषद द्वारा प्रस्तावित की जाती है और उसे मंजूरी के बाद लागू किया जाता है। उदाहरण के तौर पररसल चौक का नाम हाल ही में महर्षि दयानंद चौक कर दिया गया। रसल चौक का नाम ब्रिटिश अफसर ई एल रसल के नाम पर थाजो कमिश्नर ऑफिस में अधीक्षक थे। अब यह चौक महर्षि दयानंद की विरासत को सम्मानित करता हैजिन्होंने समाज सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इसी तरहब्लूम चौक का नाम बदलकर राजनारायण गुप्ता मार्ग रखा गया है। मिस्टर ब्लूमजो एक इंजीनियर थेशहर की कई सड़कों के नक्शे तैयार करने के लिए प्रसिद्ध थे। अब इस मार्ग का नाम स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी राजनारायण गुप्ता के नाम पर रखा गया हैजो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार रहे थे।नेपियर टाउनजो पहले एलन बर्टर नेपियर के नाम पर थाअब ओशो साधना पथ के रूप में पहचाना जाएगा। ओशोजिन्हें आचार्य रजनीश के नाम से भी जाना जाता हैभारतीय ध्यान और योग के महान गुरु रहे हैं। उनका योगदान न केवल भारत मेंबल्कि दुनियाभर में महसूस किया गया है।

यह मुहिम सिर्फ शहर के नामों को बदलने तक सीमित नहीं हैबल्कि यह उन मूल्यों को भी आगे बढ़ाने का प्रयास हैजो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े हुए हैं। इस बदलाव से स्थानीय लोगों में गर्व और सम्मान की भावना पैदा हो रही हैक्योंकि अब वे उन स्थानों को ऐसे नामों से संबोधित कर सकते हैं जो स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए हैं।आखिरकारयह मुहिम जबलपुर को एक नई पहचान देने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो रही हैजो इतिहास और संस्कृति को सम्मान देती है।