मध्य प्रदेश सरकार का सख्त एक्शन IAS संतोष वर्मा सस्पेंड विवादित बयान पर कारण बताओ नोटिस जारी
नई दिल्ली । मध्य प्रदेश सरकार ने 22 नवंबर को आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा द्वारा आरक्षण और समाजिक सौहार्द पर दिए गए विवादित बयान के बाद त्वरित कार्रवाई की है। वर्मा को उनके आपत्तिजनक बयान के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह बयान एक साहित्यिक कार्यक्रम में दिए गए थे जिसमें उन्होंने आरक्षण व्यवस्था पर सवाल उठाया और कहा कि इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा था कि आरक्षण का लाभ केवल एक परिवार के एक सदस्य तक ही सीमित होना चाहिए जब तक कि कोई ब्राह्मण अपनी बेटी को उनके बेटे से विवाह के लिए न दे दे।
वर्मा के इस बयान ने समाज के विभिन्न वर्गों में तीव्र रोष उत्पन्न कर दिया। एससी, एसटी और ओबीसी संगठनों के साथ साथ ब्राह्मण समाज ने भी इस बयान की कड़ी आलोचना की। इन संगठनों का आरोप था कि यह बयान संविधान का अपमान है और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाला है। इसके बाद भोपाल में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने वर्मा के खिलाफ नारेबाजी की और उनके पुतले फूंके। इसके साथ ही एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग भी की गई।
सरकार ने इस बवाल के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इस नोटिस में स्पष्ट किया गया कि उनका बयान सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाता है और यह अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 और अखिल भारतीय सेवा अनुशासन और अपील नियम 1969 का उल्लंघन करता है। नोटिस के बाद, सरकार ने वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि कोई भी सिविल सर्वेंट, चाहे किसी भी रैंक का हो, संवैधानिक नीतियों की ऐसी सार्वजनिक आलोचना नहीं कर सकता, जिससे समाज का ताना बाना प्रभावित हो।
यह पहली बार नहीं है कि संतोष वर्मा विवादों में घिरे हैं इससे पहले भी वह विवादों का हिस्सा रहे हैं और एक बार जेल भी जा चुके हैं। अब सरकार ने उन्हें सात दिनों का समय दिया है, जिसके भीतर उन्हें नोटिस का जवाब देना होगा। इसके बाद, विभागीय कार्रवाई का फैसला लिया जाएगा। इस कार्रवाई को लेकर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि समाज में किसी भी तरह की अशांति या तनाव फैलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और अधिकारियों को संविधान और सामाजिक सौहार्द का पालन करना होगा। समाज में फैली नाराजगी और सरकार की कड़ी कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि इस तरह के बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे बयानों के लिए कड़ी सजा हो सकती है।
